रांचीःझारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रांची मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आरएमसीएच), जो राज्य गठन के बाद स्वायत्तशासी रिम्स में तब्दील किया गया. तब रिम्स को एम्स की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई गई थी. लेकिन हकीकत यह है कि राज्य बनने के 20 साल बाद भी मरीजों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. स्थिति यह है कि एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई कराना हैं तो मजबूरन बाहर जाकर अधिक राशि खर्च करने को मजबूर हैं.
रांची में रिम्स को एम्स बनाने का था सपना, पर आज भी मरीजों को जांच के लिए जाना पड़ता है बाहर
रिम्स के मरीज निजी सेंटर में जांच कराने को मजबूर हैं. इसकी वजह है कि एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई मशीन महीनों से खराब है. लेकिन रिम्स प्रशासन की ओर से खराब मशीनों को दुरुस्त नहीं करवाया जा रहा है.
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रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में अल्ट्रासाउंड के साथ साथ सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन महीनों से खराब पड़ा है. यह स्थिति तब है जब रिम्स में रोजाना 3000 से 3500 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं. इसमें दर्जनों मरीजों को डॉक्टर एमआरआई और सीटी स्कैन कराने की सलाह देते हैं. इन मरीजों के लिए कागज पर सिर्फ ट्रॉमा सेंटर का सीटी स्कैन चल रहा है. हकीकत यह है कि अधिकतर मरीजों को जांच के लिए निजी सेंटर में भेज दिया जाता है, जहां मरीजों को मोटी रकम खर्च करना पड़ रहा है.
रेडियोलॉजी विभाग में एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन महीनों से खराब हैं. इसके साथ अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीनें खराब पड़ी है. स्थिति यह है कि इस जांच के लिए सुपर स्पेशलिटी बिल्डिंग की मशीनों पर निर्भर होना पड़ रहा है. लेकिन एक मशीन पर दबाव अधिक होने की वजह से मजबूरन मरीजों को बाहर जांच कराना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, रिम्स की पुरानी बिल्डिंग के पहले तल्ले पर किडनी रोगियों की डायलिसिस की सुविधा थी. इसके बावजूद ट्रामा सेंटर में कई नई मशीन लगाई गई, ताकि किडनी रोगियों को कोई परेशानी नहीं हो. हालांकि, पुरानी बिल्डिंग की मशीनों को कबाड़ बनने के लिए छोड़ दिया गया.
रिम्स में एक्स-रे की कई मशीनें हैं. लेकिन सिर्फ तीन मशीन ही चालू स्थिति में हैं. शेष एक्स-रे मशीन खराब है. रिम्स के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा कहते हैं कि एक्स-रे मशीन चालू है. लेकिन एमआरआई मशीन खराब है, जिसे जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अस्पताल में सीटी स्कैन चालू है. किसी मरीज को बाहर नहीं जाना पड़ रहा है.