रांची: मुसीबत कभी पूछकर नहीं आती, हादसे अचानक होते हैं, ऐसी स्थिति में सबसे पहले एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ती है. अगर उसी एंबुलेंस को घंटों तक कहीं रोक दिया जाए तो निश्चित रूप से जरूरतमंद मरीजों तक एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाएगी. इसी तरह की स्थिति झारखंड के 108 एंबुलेंस के साथ बनी हुई है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में जैसे ही 108 एंबुलेंस से कोई मरीज पहुंचता है तो उस एंबुलेंस के मरीज को रिम्स की तरफ से एंबुलेंस से उतारने के लिए मरीज को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर नहीं दी जाती है.
108 एंबुलेंस के साथ रिम्स प्रबंधन का सौतेला व्यवहार हर किसी को परेशानी में डाल देता है. एंबुलेंस चालकों ने बताया कि कई बार घंटों तक मरीज एंबुलेंस में पड़े रहते हैं. लेकिन रिम्स की तरफ से ना तो स्ट्रेचर दिया जाता है और ना ही व्हीलचेयर मुहैया कराई जाती है. एंबुलेंस कर्मचारियों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए बताया कि जब भी वह मरीज को लेकर रिम्स अस्पताल पहुंचते हैं तो उनके टेक्नीशियन और ड्राइवर ही मरीज का इमरजेंसी में इलाज कराते हैं. उसके बाद उस मरीज को वार्ड तक पहुंचाते हैं. जिस वजह से कई बार एंबुलेंस घंटों तक एक मरीज के लिए ही रुकी रह जाती है. जबकि नियमपूर्वक मरीज को तुरंत एंबुलेंस से निकालकर एंबुलेंस चालक को अस्पताल से निकल जाना होता है.