रांची: देश में जहां इंटरनेट की स्पीड बढ़ाए जाने के तरह-तरह के जतन हो रहे हैं. अधिकांश युवा 4जी स्पीड का उपभोग कर रहे हैं और 5जी की तैयारी होने लगी है, वहीं राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में जिम्मेदार हाई स्पीड तो छोड़ें सुचारू इंटरनेट की व्यवस्था तक नहीं कर पा रहे हैं.
RIMS में आए दिन इंटरनेट सेवा बाधित होने के मामले सामने आ रहे हैं. इससे आम लोगों को परेशानी हो रही है. लोगों को पर्ची कटवाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. शुक्रवार को भी यही हाल रहा. कई घंटे इंटरनेट सेवा बाधित होने से मरीजों को पर्ची बनवाने और जांच कराने में दिक्कत हुई. आखिरकार डॉक्टर के परामर्श के लिए मैनुअल स्लिप बनानी पड़ी. गुरुवार को भी रिम्स में इंटरनेट सेवा बाधित हुई थी.
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बता दें कि राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान में इंटरनेट की मदद से ही लोगों को जांच का रिपोर्ट मिलती है. लेकिन गुरुवार को इंटरनेट व्यवस्था ठप हो गई. इससे जांच और उसकी रिपोर्ट तैयार कर मरीजों को देने की व्यवस्था ठप हो गई. गुरुवार सुबह 8:00 बजे से करीब डेढ़ घंटा तक इंटरनेट सेवा ठप रही.
काफी मशक्कत के बाद इसके बाद रिम्स में इंटरनेट सेवा बहाल हुई तो थोड़ी देर बाद फिर इंटरनेट सेवा बाधित हो गई. इसके बाद शुक्रवार को शाम को भी कुछ घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बाधित रही, जिस वजह से दिन भर मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
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हालांकि शुक्रवार को मरीजों के लिए कर्मचारियों ने मैनुअल तरीके से पर्ची काटकर ओपीडी का लाभ दिलाया. लेकिन मैनुअल तरीके से पर्ची काटने में कर्मचारियों को काफी परेशानी हुई. इससे अस्पताल में भीड़ की स्थिति बन गई. इधर रिम्स प्रबंधन का कहना है कि जहां से इंटरनेट सेवा बहाल होती है वहीं पर किसी तरह की तकनीकी समस्या आ गई थी. रिम्स में सभी सर्वर की जांच कराई गई, लेकिन कहीं पर भी कोई फॉल्ट नहीं मिला.
आए दिन आ रही समस्याः रिम्स के पीआरओ डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि जल्द ही इंटरनेट सेवा को मजबूत करने के लिए उच्च अधिकारियों के समक्ष बात रखी जाएगी. क्योंकि इस तरह की समस्या आए दिन देखने को मिल रही है.
इन दिनों भी हुई थी दिक्कतःबता दें कि रिम्स में तीस जुलाई को भी इंटरनेट सेवा प्रभावित हुई थी. इसके पहले 19 मई को भी रिम्स में इंटरनेट सेवा बाधित हो गई थी. वहीं 15 मार्च को भी रिम्स की इंटरनेट सेवा फेल हो गई थी. जिसका खमियाजा मरीजों और तीमारदारों को भुगतना पड़ा था. मैनुअल कामकाज से देरी हो रही थी तो जांच रिपोर्ट न मिलने से मरीजों को इलाज शुरू कराने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ा.