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झारखंड में दूसरी बार होगा शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन, निजी स्कूल संचालकों को मिलेगी राहत

झारखंड राज्य शिक्षा विभाग निजी स्कूल संचालकों को राहत देने की तैयारी कर रहा है. जिसके तहत निजी स्कूल खोलने के लिए कड़े नियम को आसान बनाया जाएगा. निजी स्कूलों को मान्यता के लिए भूमि की उपलब्धता में छूट दी जाएगी.

Right to Education Act in Jharkhand
Right to Education Act in Jharkhand

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Published : Mar 11, 2022, 2:29 PM IST

रांची: झारखंड में निजी स्कूल खोलने वालों के लिए अच्छी खबर है. झारखंड राज्य शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक अब कम जमीन पर भी निजी स्कूल खोला जा सकता है. निजी स्कूलों को मान्यता के लिए भूमि की उपलब्धता में छूट दी जाएगी. जिसको लेकर विभाग के स्तर पर तैयारी की जा रही है.

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दरअसल, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत झारखंड में निजी स्कूल खोलने के लिए जमीन को लेकर कड़ा नियम लागू है, लेकिन अब इस नियम में शिथिलता बरती जाएगी. इसकी तैयारी झारखंड राज्य शिक्षा विभाग कर रही है. राज्य शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षा का अधिकार अधिनियम की नियमावली में संशोधन किया जाएगा. इसके तहत निजी स्कूलों को मान्यता लेने के लिए नियमावली में तय भूमि की शर्त में बदलाव हो सकता है. राज्य शिक्षा विभाग की ओर से इसे लेकर दूसरे राज्यों के नियमावली का भी अध्ययन किया जा रहा है.

निजी स्कूल संचालकों को मिलेगी राहत:शिक्षा विभाग ने इसे लेकर प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. राज्य में साल 2011 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act in Jharkhand) लागू हुआ था. फिर साल 2019 में अधिनियम में पहला संशोधन हुआ है और अब दूसरा संशोधन होगा. इससे निजी स्कूल के संचालकों को राहत मिलने की उम्मीद है. राज्य में ऐसे 7 हजार से अधिक स्कूल हैं. जिन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता लेनी है. मान्यता नहीं लेने वाले स्कूलों पर कार्रवाई का भी प्रावधान है. स्कूलों को मान्यता के लिए अगर भूमि की शर्त से छूट दी जाए तो कक्षा 1 से 5 तक और 6 से 8 तक के लिए स्कूल के पास क्या-क्या संसाधन होना चाहिए इसे भी अनिवार्य किया जाएगा. स्कूलों में कक्षा के अनुरूप कमरा, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, खेल का मैदान समेत अन्य संसाधनों की अनिवार्यता की जाएगी.

क्या है वर्तमान नियम: वर्तमान में निजी स्कूलों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा 1 से 8 तक के लिए शहरी क्षेत्र में 75 डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्र में 1 एकड़ भूमि होना अनिवार्य है. जबकि कक्षा एक से पांच तक के लिए शहरी क्षेत्र में 40 डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्र में 60 डिसमिल भूमि होना अनिवार्य है और इसी नियम को शिथिल करने की तैयारी की जा रही है.

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