रांचीः माओवादियों को कोल्हान इलाके के बाद दूसरा बड़ा झटका बूढ़ा पहाड़ के इलाके में मिला है. जोनल कमांडर महाराज प्रमाणिक के बाद स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य (सैक) उमेश यादव उर्फ विमल उर्फ राधेश्याम यादव ने आत्मसमर्पण किया है. शुक्रवार को आईजी ऑपरेशन अमोल वेणुकांत होमकर के सामने नक्सली ने विधिवत सरेंडर कर दिया है. सरेंडर के बाद उसे हजारीबाग ओपन जेल भेजा जाएगा. विमल के खिलाफ जहानाबाद, गया, गढ़वा, लातेहार और तमाड़ में नक्सल मामले दर्ज हैं.
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रांची में 25 लाख के इनामी नक्सली कमांडर राधेश्याम ने आत्मसमर्पण कर दिया है. विमल बीते कई सालों से माओवादियों के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ के इलाके में सक्रिय था. बिरसायी के संगठन से अलग होने के बाद बूढ़ा पहाड़ में उसका कद बढ़ा था. विमल मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिला के सलेमपुर थाना के करौना का रहने वाला है. 25 लाख का इनामी विमल संगठन में हो रहे भेदभाव को लेकर नाराज चल रहा था. विमल को किनारा कर बाहरी लोगों को संगठन में ज्यादा तरजीह दी जा रही थी. भाकपा माओवादियों के बिहार में कार्यरत सेंट्रल कमिटी मेंबर प्रमोद मिश्रा, मिथलेश महतो की गतिविधियां सीमावर्ती इलाकों में रही हैं. वहीं मिथलेश के अब पूरी तरह बूढ़ा पहाड़ के नियंत्रण में लेने की सूचना एजेंसियों को मिली है. मिथलेश के बूढ़ा पहाड़ आने के बाद ही यहां विमल यादव के दस्ते को किनारा लगा दिया गया था, जिसके बाद विमल ने संगठन से खुद को अलग कर लिया था. रांची में 25 लाख का इनामी नक्सली कमांडर राधेश्याम ने आत्मसमर्पण किया है. शुक्रवार को आईजी ऑपरेशन अमोल वेणुकांत होमकर के सामने विमल विधिवत सरेंडर कर दिया है.
इनामी नक्सली कमांडर राधेश्याम ने आत्मसमर्पण किया चार बीघा जमीन के विवाद में बना नक्सलीः पिछले 22 साल से झारखंड पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने 25 लाख के इनामी नक्सली कमांडर विमल यादव ने सरेंडर करने के बाद अपने जीवन की पूरी कहानी बयां की है. विमल यादव ने बताया कि महज चार बीघा जमीन के विवाद के कारण वह नक्सली बन गया था. विमल के अनुसार 1993 में वह आईएससी में पढ़ाई कर रहा था. उसके दादा तीन भाइयों के एक भाई की कोई संतान नहीं थी, ऐसे में उन्होंने अपने हिस्से की जमीन विमल यादव और उसके सहोदर भाईयों को देने का फैसला कर लिया था. लेकिन यह बात उसके गोतिया और चचेरे भाई रामबालक यादव, बेचन यादव को बर्दाश्त नहीं हुआ, सभी ने मिलकर उनके पूरे परिवार को बेरहमी से पीटा गया. इसके बाद जमीन बचाने की नीयत से विमल ने माओवादियों के फ्रंटल आर्गेनाइजेशन मजदूर किसान संग्राम समिति का दामन थाम दिया.
विमल ने बताया कि इसी दौरान उसकी मुलाकात देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद (एक करोड़ का इनामी, अब मृत) के करीबी रोहित से हुई थी. जिसके बाद साल 2005 में विमल को भाकपा माओवादियों का सबजोनल कमांडर, 2009 में जोनल कमांडर बनाया गया था. साल 2010 में बजीरगंज में हथियार के साथ पकड़े जाने के बाद विमल तकरीबन 15 महीने जेल में रहा. इसके बाद जनकपुर में भी विस्फोटक के साथ वह पकड़ा गया था. 2011 में पटना के बेउर जेल से छूटने के बाद वह माओवादियों का रीजनल कमांडर बनाया गया था. विमल ने बताया है कि साल 2012 में अरविंद जी के बुलाने पर वह पहली बार बूढ़ा पहाड़ आया था. इसके बाद यहां से लौटने पर वह और अरविंद की पत्नी एक साथ गिरफ्तार हो गए थे. 8 महीने जेल में रहने के बाद 2013 में जेल से छूटने पर वह गांव में कुछ दिनों रहा, इसके बाद 2014 में उसे सैक सदस्य बनाया गया. 2015 में सैक सदस्य के तौर पर वह केंद्रीय कमिटी सदस्य अरविंद जी का दाहिना हाथ बनकर बूढ़ा पहाड़ में काम करने लगा. 2018 में उसे यूनिफाइड कमांड में शमिल किया गया था.
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संगठन में अब एकजुटता नहींः विमल ने पुलिस को बताया है कि संगठन में अब एकजुटता नहीं है. विमल के अनुसार साल 2018 में अरविंद की मौत के बाद उसे बूढ़ा पहाड़ का प्लाटून हेड बनाया गया था लेकिन 2019 के जनवरी से यह कमान सुधाकरण को सौंप दी गई. सुधाकरण के जाने के बाद वह फिर से प्लाटून के चार्ज में था. लेकिन साल 2020 में मिथलेश को केंद्रीय कमिटी सदस्य बनाकर बूढ़ा पहाड़ भेजा गया. इसके बाद वह संगठन को बूढ़ा पहाड़ इलाके में संभाल रहा है. विमल ने संगठन की संरचना के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि सीसी प्रमोद मिश्रा को मध्य जोन और विजय आर्या उर्फ जसपाल को रोहतास और मगध क्षेत्र का जिम्मा दिया गया है. माओवादी छोटू खेरवार को कोयलशंख जोन का सचिव बनाने का फैसला लिया गया है. विमल ने बताया है कि सीसी मेंबर मिथलेश पूर्व माओवादी बिरसाई के जेल से छूटने का इंतजार कर रहा है, उसके जेल से छूटने पर बड़े पद पर बैठाने की योजना है. विमल ने बताया कि संगठन में अंतर्रविरोध के कारण अब प्लाटून में महज 25 सदस्य बचे हैं जबकि 16 ने पार्टी छोड़ दी है.
मगध से आते थे बड़े नेताः भाकपा माओवादी विमल ने बताया है कि अरविंद के ताल्लुकात कई लोगों से थे. मगध से कुछ बड़े नेता, गांव के लोग, संगठन के लोग अक्सर अरविंद से मिलने आते थे. विमल ने बताया कि संगठन अब मगध जोन में भी काफी कमजोर हो गया है, ऐसा कोई नही है जिसे इलाके की कमान दी जा सके. विमल यादव ने बताया कि संगठन में किडनी की बीमारी और उसके इलाज का बहाना बनाकर वह भागा था. संगठन में अब कोई नीति-सिद्धांत नहीं है, ऐसे में वह संगठन से अलग हो गया था. सुधाकरण के झारखंड छोड़ने के बाद से विमल बूढ़ा पहाड़ इलाके में संगठन की कमान संभाल रहा था. आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि राज्य में झारखंड जगुआर, कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ और जिलों की पुलिस के द्वारा चौतरफा अभियान चलाया जा रहा है. इसके साथ ही नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ऑपरेशन नई दिशाएं के तहत सरेंडर पॉलिसी का लाभ भी दिया जा रहा है. आईजी अभियान ने बताया कि विमल यादव के सरेंडर से माओवादी बूढ़ा पहाड़ के इलाके में कमजोर हुए हैं.