रांची: डुमरी विधानसभा उपचुनाव 2023 में अपने-अपने प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए इंडिया, एनडीए और एआईएमआईएम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
डुमरी में इस बार छह प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. मुख्य मुकाबला झामुमो उम्मीदवार मंत्री बेबी देवी और आजसू उम्मीदवार यशोदा देवी के बीच होगा. इस सीधे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कोई कोर कसर एआईएमआईएम के अब्दुल मोमिन रिजवी नहीं छोड़ रहे हैं. अन्य उम्मीदवार निर्दलीय कमल प्रसाद साहू, नारायण गिरि और रौशन लाल तूरी भी चुनाव प्रचार में लगे हैं. ऐसे में डुमरी विधानसभा उपचुनाव, झामुमो के कोर वोटर थ्री एम यानी मांझी, मुस्लिम और महतो की एकजुटता की परीक्षा लेगा.
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उपचुनाव का कितना असर होगाःराज्य के शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो के निधन से खाली हुई डुमरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 05 सितंबर को मतदान और 08 सितंबर को मतगणना होगी. 8 सितम्बर को ही पता चलेगा कि किसकी जीत और किसकी हार होती है. लेकिन जानकार बताते हैं कि डुमरी विधानसभा उपचुनाव के परिणाम का असर झारखंड में लोकसभा और विधानसभा चुनाव 2024 पर भी पड़ेगा.
झामुमो के थ्री एम की अग्नि परीक्षाःझारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के समय से ही थ्रीएम यानि मांझी, मुस्लिम और महतो उनका कोर वोटर रहा है. मांझी का तात्पर्य जनजातीय वोटरों से है, वहीं महतो का राज्य में तात्पर्य कुड़मी वोटरों से है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता मनोज पांडेय कहते हैं कि डुमरी में कोई त्रिकोणीय मुकाबला नहीं है. अल्पसंख्यक जान चुके हैं कि भाजपा की बी टीम से इस बार बच कर रहना है. कुड़मी, ओबीसी वोटर उस आजसू भाजपा को शायद ही वोट करेंगे जिन्होंने उनका आरक्षण 27% से घटा कर 14% कर दिया.