रांची:12 मंत्रियों वाले झारखंड मंत्रिमंडल में लगभग हर बार 12वें मंत्री का पद खाली रहा है, चाहे वह पिछली रघुवर दास सरकार हो या मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार. इसकी वजह क्या है इसे लेकर सरकार में शामिल सभी दलों के पास तर्क जरूर रहे हैं. वहीं विपक्ष में जो भी रहा, वह हमेशा इस मुद्दे पर आवाज उठाता रहा है.
दरअसल, आपको बता दें कि संविधान में संशोधन के बाद विधानसभा में मंत्रियों की संख्या कुल विधायकों की संख्या का 15 फीसदी ही हो सकती है. इस आधार पर झारखंड में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं, लेकिन पिछले चार साल से राज्य में 12वें मंत्री का पद खाली है. झारखंड की मौजूदा सरकार में 11 मंत्री हैं. जबकि एक मंत्री का पद खाली है. पिछले चार सालों में यह मंत्री पद खाली ही रहा. अब सरकार अपने आखिरी साल के कार्यकाल में प्रवेश कर चुकी है.
बीजेपी का तंज:भाजपा ने 12वें मंत्री पद के खाली रहने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एकाधिकार के समर्थक मुख्यमंत्री जानबूझकर 12वां मंत्री बनाकर सत्ता का विकेंद्रीकरण नहीं करना चाहते हैं. वहीं, जेएमएम का कहना है कि 12वें मंत्री पद का खाली होना महागठबंधन सरकार चलाने की मजबूरी है, हालांकि उनका कहना है कि जनता का काम नहीं रुक रहा है, राज्य में जनकल्याणकारी सरकार चल रही है. तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वहीं, कांग्रेस को उम्मीद है कि अभी भी समय है और 12वें मंत्री का पद भरा जाएगा.
इसलिए नहीं बनाया गया 12वां मंत्री:आपको बता दें कि मौजूदा झारखंड सरकार में जेएमएम से छह, कांग्रेस से चार और राजद से एक मंत्री हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा झामुमो से हफीजुल हसन, चंपई सोरेन, जोबा मांझी, मिथिलेश ठाकुर और बेबी देवी, कांग्रेस से डॉ. रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख और राजद से सत्यानंद भोक्ता मंत्री हैं. वहीं 12वां मंत्री पद खाली होने के पीछे की वजह महागठबंधन में फूट होने से रोकना बताया जा रहा है. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे भी सरकार चलाने की मजबूरी की ओर इशारा करते हैं और बताते हैं कि 12वें मंत्री का पद क्यों खाली है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं के तर्क के मुताबिक 30 विधायकों वाली पार्टी झामुमो का 12वें मंत्री पर सीधा अधिकार है. ऐसे में महागठबंधन के सहयोगियों के बीच किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने एक सीट खाली रखकर सरकार का कार्यकाल पूरा करने का सबसे आसान रास्ता चुना है.