रांचीः शहर के निवारणपुर स्थित तपोवन मंदिर तमाम भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. पर्व त्योहार के मौके पर भक्तों की यहां काफी भीड़ होती है. राम जानकी मंदिर के रूप में इसकी स्थापना लगभग 286 वर्ष पहले की गयी थी. इस पुराने इस मंदिर में रामनवमी के पावन अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु अन्य जिला और दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं. शहर में विभिन्न अखाड़ों की ओर से निकाली जाने वाली रामनवमी की शोभा यात्रा बगैर तपोवन मंदिर की यात्रा किए पूर्ण नहीं मानी जाती है.
इसे भी पढ़ें- Ranchi Tapovan Mandir: रामनवमी पर राम मय हुई राजधानी, ऐतिहासिक तपोवन मंदिर में लगी भक्तों की कतार
तपोवन मंदिर तप की भूमि है, जिसके गर्भ से सैकड़ों वर्ष पूर्व रामलला और माता सीता की प्रतिमा मिली थी जो आज भी इस मंदिर में विद्यमान है. इतना ही नहीं रातू महाराज के किला से भगवान हनुमान की मूर्ति भी पूर्वजों द्वारा इस मंदिर में लाकर प्राण प्रतिष्ठा की गई है. इसी तरह से अन्य देवी देवता भी इस मंदिर में विराजते हैं, जिसके कारण लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इस मंदिर में आने वाले तमाम भक्तों की हर मनोकामना को भगवान पूरा करते हैं.
अंग्रेजी शासनकाल में हुआ था मंदिर का निर्माणः जिस स्थान पर तपोवन मंदिर स्थापित है. आदिकाल में वहां कभी जंगल हुआ करता था. इस स्थल पर सर्वप्रथम बकटेश्वर महाराज अपने तप में लीन रहते थे. ऐसी मान्यता है कि ऋषि के तप और भजन के समय में जंगली जीव जन्तु भी उनके भजन के समय उनके पास आते थे. इसके बाद जब इस इलाके में अंग्रेजों का आगमन हुआ तो उनके अफसर कैंप में रहते और जंगली इलाकों में वो जंगली जानवरों का शिकार किया करते थे.
एक दिन एक अंग्रेज अफसर ने शिकार करने के लिए निकले थे और उन्होंने एक बाघ को गोली मार दी, जिससे वहां तप कर रहे बाबा क्रोधित हो गए. इसके बाद अंग्रेजी अधिकारी को ग्लानि हुई और पश्चताप की अग्नि में जलने लगे. इसके बाद ऋषि ने उस अफसर को प्रायश्चित करने के लिए कहा और उन्हें उपाय सुझाते हुए इस स्थान पर शिव मंदिर की स्थापना का सुझाव दिया. इसके बाद ही उस अंग्रेज अधिकारी के द्वारा शिव मंदिर की स्थापना की गयी. जो आज भी इस प्राचीन और ऐतिहासिक तपोवन परिसर में उनके द्वारा अधिष्ठापित किया गया शिव लिंग मौजूद है.
राम नवमी को लेकर मान्यताः प्राचीन तपोवन मंदिर तप और आस्था का स्थान है. खासकर राम नवमी को लेकर इस मंदिर की महत्ता और भी बढ़ जाती है. इस दिन तपोवन मंदिर में अहले सुबह से राम जानकी और महाबली हनुमान की पूजा अर्चना के लिए भक्त दूर-दराज से पहुंचते हैं. इसके बाद शहर के विभिन्न अखाड़ों के द्वारा विशाल महावीरी पताकाओं के साथ जुलूस इस मंदिर प्रांगण में देर रात तक आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की परिक्रमा किए बिना ये शोभा यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है. 1929 में तपोवन मंदिर में पहली बार महावीरी पताका की पूजा की गयी थी, ये ध्वज शहर के महावीर चौक के प्राचीन हनुमान मंदिर से तपोवन मंदिर ले जाया गया था. इसके बाद से हर साल राम नवमी के मौके पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है.