रांचीः जिले में नक्सली और नशे के सौदागर ग्रामीणों को लालच देकर सैकड़ों एकड़ में अफीम की खेती करवा रहे हैं. रांची एसएसपी को मिले सूचना के आधार पर नामकुम के सिंगसराय के बीहड़ जंगलो में डेढ़ एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया गया.
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पुलिस हैरान
रांची के नजदीक इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती देखकर पुलिस वाले भी हैरान हो गए. दोपहर से अफीम की फसल नष्ट करने का जो सिलसिला शुरू हुआ देर शाम तक चलता रहा. अफीम की फसल नष्ट करते करते पुलिस के जवान थक गए, लेकिन फसल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था. 10 घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस की टीम डेढ़ एकड़ में लगी अफीम की खेती को ही नष्ट कर पाई है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है कि उसे नष्ट करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगेगा.
नक्सली करवा रहे खेती
रांची के आस पास के जंगलों में कई नक्सली संगठन अफीम की खेती करवाते हैं. पीएलएफआई और टीपीसी जैसे नक्सली संगठन ग्रामीणों को पैसे और अफीम के बीज उपलब्ध करवाते हैं. अफीम के तैयार हो जाने के बाद उसे बाहर के राज्यों में पहुंचाने का काम भी नक्सली करते हैं. यूपी, पंजाब और दूसरे राज्यों के अफीम तस्करों के साथ नक्सलियों की सांठगांठ है. नक्सली सिर्फ अपनी देखरेख में खेती का काम पूरा करवाते हैं और फिर अफीम से मिले करोड़ों रुपए के बदौलत अपने सल्तनत को चलाते हैं. नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार प्रति किलो तैयार अफीम की कीमत बाजार में एक लाख रुपये हैं. झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों से तैयार अफीम को यूपी, पंजाब, पश्चिम बंगाल के बाजारों में नक्सली और नशे के सौदागरों के साठगांठ से पहुंचाया जाता है.
जमीन मालिक पर कार्रवाई
रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि बड़े पैमाने पर रांची के ग्रामीण थाना क्षेत्रों में अफीम की खेती करवाने की सूचना मिली थी, जिसके बाद नक्सल अभियान में लगे जवानों और अधिकारियों के साथ अफीम की खेत खोज कर उसमें लगे अफीम की फसल को नष्ट करवाने का जिम्मा दिया गया था. रांची के नामकुम के जंगली इलाकों को बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही थी. रांची एसएसपी के अनुसार जिस जमीन पर अफीम की खेती की जा रही थी, उनके मालिकों पर भी कार्रवाई की जा रही है. अफीम किसने पहुंचाई जा रही है यह भी पता लगाया जा रहा है.