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रांची के लोगों को 60 हजार रुपए वाली साइकिल भी नहीं आई पसंद, इस्तेमाल नहीं होने से हुई जर्जर - झारखंड न्यूज

राजधानी रांची के पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए रघुवर सरकार के तत्कालीन मंत्री सीपी सिंह ने नगरवासियों को साइकिल की सौगात दी थी. आज इसमें कई साइकिलें खराब पड़ी है.

Ranchi Nagar Nigam
नगर निगम की साइकिल खराब पड़ी हुई

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Published : May 30, 2023, 2:23 PM IST

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रांची: गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं से राजधानी की फिजा बदल रही है. इससे पर्यावरण में जहरीली गैसें घुल रही है. इससे यहां के तापमान में भी वृद्धि महसूस की जा रही है. पहले रातों का मौसम जहां सुहावना रहता था वहीं अब गर्मी अधिक लगने लगी है. इसके अलावा इन गैसे का लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए लोगों को इंधन वाले वाहन को छोड़ साइकिल इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. रांची में इसके लिए योजना भी बनाई गई और कई साकिल भी खरीदे गए. इनमें एक साइकिल की कीमतच करीब 60 हजार रुपए थी. हालांकि लोगों को ये साइकिल पसंद नहीं आई और उन्होंने इसका इस्तेमाल नहीं किया. अब आलम ये है कि साइकिल रखे रखे खराब हो रहे हैं.

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लोगों ने लगाए ये आरोप:साइकिल उपयोग करने वाले स्थानीय लोगों ने बताया कि शुरुआत के दिनों में साइकिलिंग के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा था, क्योंकि उस समय आसानी से साइकिल उपलब्ध हो जाते थे. लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्था चौपट होती गई और जब लोग साइकिल लेने जाते थे तो उन्हें साइकिल तो नहीं मिल पाता था. यदि कोई एक-दो साइकिल मिल जाए तो उसकी स्थिति भी काफी खराब रहती थी. जिस वजह से स्थानीय लोग धीरे-धीरे साइकिल का उपयोग करना बंद कर दिए.

मंगवाए गए थे 800 साइकिल:वाहनों से निकलने वाली खतरनाक गैस से बचने के लिए साइकिलिंग को बढ़ावा दिया गया था. इसके रघुवर सरकार में तत्कालीन मंत्री सीपी सिंह ने राजधानी में 700 से 800 साइकिल मंगावाए थे. खराब व्यवस्था की वजह से साइकिलिंग का उपयोग करना लोग बंद कर दिया है. सभी साइकिल जर्मन बेस्ड कंपनी की है. शुरुआत के दिनों में लोगों का झुकाव साइकिलिंग के प्रति जरूर बढ़ा लेकिन साइकिलिंग को पूरी तरह राजधानी के लोगों ने अपने जीवन के कार्यकलापों में नहीं उतार पाएं.

सायकिलिंग बेहतर विकल्प:राज्य के पूर्व मंत्री व रांची विधायक सीपी सिंह बताते हैं कि वर्ष 2018 में जब वह नगर विकास विभाग के मंत्री थे तब उस वक्त स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत राजधानीवासियों को साइकिलिंग की सुविधा मुहैया कराई गई थी. शहर के विभिन्न जगहों पर 60 साइकिल स्टैंड भी बनाए गए ताकि लोग आसानी से एक जगह से दूसरे जगह जा सके. इससे सिर्फ वातावरण ही स्वच्छ नहीं होता बल्कि लोगों को जाम की समस्या से भी निजात मिलता है. पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए साइकिलिंग एक बेहतर विकल्प है.

60 साइकिल स्टैंड बनाए गए:राजधानी में साइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए चार्टेड नाम की कंपनी को टेंडर के माध्यम से जिम्मेदारी दी गई. चार्टर्ड साइकिल कंपनी के कर्मचारी शशि रंजन बताते हैं कि 600 साइकिलों को परिचालित करने के लिए 60 साइकिल स्टैंड भी बनाए गए. लोगों को साइकिल मुहैया कराने के लिए एक विशेष व्यवस्था भी कराई गई. ताकि जो भी लोग साइकिल का उपयोग करें, उनका विवरण रखा जा सकें. उन्होंने बताया कि चार्टर्ड कंपनी की ओर से साइकिलिंग को बढ़वा देने के लिए लोगों से काफी कम चार्ज लिए जाते हैं, ताकि छात्र एवं मजदूर वर्ग के भी लोग साइकिल का उपयोग कर सकें. शशि रंजन कुमार ने बताया कि वर्तमान में निश्चित रूप से कई साइकिलें खराब पड़ी हुई है. इसका कारण है कई बार लोग इसे गलत तरीके से उपयोग करते हैं.

क्या कहते निगम के अधिकारी:नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि साइकिलिंग की व्यवस्था पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाई. इसे लेकर नगर निगम के उप नगर आयुक्त कुंवर सिंह पाहन से बात कर ऐसी व्यवस्था के लिए पहल की जाएगी जिससे लोग सप्ताह में दो दिन साइकिल से ही ऑफिस आना-जाना कर सके. अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए राजधानी के मोराबादी और कांके इलाके के आसपास अलग से साइकिल ट्रैक बनाए जाएंगे. जिसमें लोग आसानी से साइकिलिंग कर पाएंगे. नगर निगम के उप नगर आयुक्त कुंवर सिंह पाहन ने बताया कि लोगों को साइकिलिंग के प्रति प्रेरित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के लिए आवश्यकता है. कहा कि एस अभियान को आने वाले दिनों में निगम एवं जिला प्रशासन के सहयोग से चलाया जाएगा.

गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी परियोजना को बढ़ावा देने के लिए साइकिलिंग की व्यवस्था की गई थी. लेकिन यह व्यवस्था पूर्ण रूप से रांची के लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है. जरूरत है रांची के वातावरण को फिर से बेहतर और स्वच्छ बनाने के लिए लोग अपनी आदतों में साइकिलिंग को सुमार करें. ताकि सड़क पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैस कम हो और लोग स्वच्छ पर्यावरण में खुद को स्वस्थ महसूस कर सकें.

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