रांची:झारखंड में नगर निकाय प्रशासकों के भरोसे चल रहा है. सरकार की उदासीनता के कारण शहरी नगर निकाय चुनाव फिलहाल होता नहीं दिख रहा है. इसके पीछे बड़ी वजह पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट है. जिसको लेकर सरकार ने अब तक ना तो आयोग गठित की है और ना ही इसपर कोई काम हुआ है.
Ranchi News: अधर में नगर निकाय चुनाव, पार्षदों की गुहार पर 15 मई को हाईकोर्ट में सुनवाई - रांची नगर निगम न्यूज
नगर निकाय का चुनाव नहीं होने से पूर्व पार्षदों में रोष है. उनका कहना है कि सरकार या तो चुनाव कराए या फिर उन्हें क्षेत्र में काम करने की अनुमति दी जाए.
इधर सोमवार (15 मई) को पूर्व पार्षदों की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. जिसमें न्यायालय से प्रशासक के भरोसे चल रहे नगर निकायों के कामकाज संबंधी सरकार के उस फैसले को निरस्त करने का आग्रह किया गया है. झारखंड में नगर निकाय प्रशासकों के भरोसे है. राज्य के 9 नगर निगम, 20 नगर परिषद और और 20 नगर पंचायत का कामकाज प्रशासक के भरोसे जैसे तैसे चल रहा है. इधर सरकार की उदासीन रवैया के खिलाफ पूर्व पार्षदों ने आंदोलन छेड़ने की धमकी दी है. नगर निकायों की बदहाल स्थिति और आम लोगों को हो रही परेशानी के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हुए पूर्व पार्षद अरुण कुमार झा का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराकर चुनाव की घोषणा करे.
15 मई को हाईकोर्ट में सुनवाई:झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर 15 मई को सुनवाई होगी. रांची नगर निगम क्षेत्र के पूर्व पार्षदों के द्वारा संयुक्त रूप से दाखिल याचिका में न्यायालय से तीन बिंदुओं पर सरकार को आदेश जारी करने का आग्रह किया गया है. दाखिल याचिका में पूर्व पार्षदों ने प्रशासक के भरोसे नगर निकाय चलाने के कैबिनेट के फैसले को निरस्त करने, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराकर, चुनाव की तारीख की घोषणा करने और चुनाव होने तक पूर्व पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश सरकार को देने का आग्रह किया गया है. संभावना है कि इसकी गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट सरकार को कोई आदेश जारी करे.
जानिए क्या है ट्रिपल टेस्ट:सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शहरी नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है. इसके तहत सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण कराना अनिवार्य है. इसके लिए एक आयोग का गठन करना अनिवार्य होगा. सर्वेक्षण हो जाने के पश्चात आयोग द्वारा सरकार को रिपोर्ट सौंपी जायेगी. आयोग के रिपोर्ट को स्वीकार किए जाने के पश्चात निकायवार आरक्षण अनुपात के अनुसार उसे समाहित किया जायेगा. संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य,पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों के 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा. इन सारी प्रक्रिया को आज की तारीख में शुरू किया जाय तो कम से कम छह महीने से ज्यादा समय लग जाएंगे. ऐसे में शहरी निकाय चुनाव फिलहाल होता हुआ नहीं दिख रहा है.