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रांची नगर निगम को राजस्व का हो रहा भारी नुकसान, नगर आयुक्त सचिव के दबाव में एजेंसी को नहीं दे रहे कार्य विस्तार

मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि नगर आयुक्त को अब तक तीन बार पत्र लिखकर एजेंसी को राजस्व वसूली से संबंधित कार्य के लिए कार्य विस्तार देने का निर्देश दिया गया है. फिर भी नगर आयुक्त परिषद में लिए गए निर्णय को दरकिनार कर एजेंसी को कार्य विस्तार देने से इंकार कर रहे हैं.

Loss of revenue to Ranchi Municipal Corporation
रांची नगर निगम को राजस्व का नुकसान

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Published : Aug 20, 2020, 7:04 PM IST

रांची: शहर के मेयर आशा लकड़ा ने गुरुवार को कहा है कि 12 अगस्त से रांची नगर निगम क्षेत्र में होल्डिंग टैक्स और वाटर यूजर चार्ज का कलेक्शन कार्य प्रभावित हो रहा है. नगर आयुक्त विभागीय सचिव के दबाव में स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को कार्य विस्तार करने के लिए इकरारनामा करने से बच रहे हैं. जबकि 9 जून को नगर निगम परिषद की बैठक में इस एजेंसी को कार्य विस्तार देने का निर्णय भी लिया जा चुका है. इस निर्णय के आधार पर नगर आयुक्त को अब तक तीन बार पत्र लिखकर एजेंसी को राजस्व वसूली से संबंधित कार्य के लिए कार्य विस्तार देने का निर्देश दिया गया है. फिर भी नगर आयुक्त परिषद में लिए गए निर्णय को दरकिनार कर एजेंसी को कार्य विस्तार देने से इंकार कर रहे हैं.

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मेयर ने कहा है कि नगर आयुक्त का कहना है कि विभागीय सचिव के निर्देश पर स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को राजस्व वसूली से संबंधित कार्य के लिए कार्य विस्तार नहीं दिया जाएगा. हालांकि विभागीय सचिव के निर्देश से संबंधित कोई पत्र अब तक नगर आयुक्त ने नहीं दिया है. उनके लिए झारखंड नगर पालिका अधिनियम कोई मायने नहीं रखता है. मेयर ने कहा है कि 13 अगस्त को विभागीय सचिव से मुलाकात कर झारखंड नगर पालिका अधिनियम का पालन कराने और निगम से संबंधित कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करने का आग्रह किया था, लेकिन विभागीय सचिव अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहे हैं. जिससे रांची नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

उन्होंने कहा कि परिषद में लिया गया निर्णय सर्वोपरि है. जिसे परिषद ही निरस्त कर सकता है. नगर निगम के किसी अधिकारी को यह शक्ति नहीं है कि परिषद के निर्णय को बदल सके. नगर आयुक्त को परिषद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेना चाहिए. प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते वे परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय का अवमानना न करें. अगर अधिनियम के विरुद्ध कार्य किए जा रहे हैं तो उन्हें सुसंगत धाराओं का हवाला देते हुए संबंधित विषय पर अपना तर्क स्पष्ट करना चाहिए.

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