रांची: राजधानी में कूड़े के पहाड़ को नष्ट करने के लिए नगर निगम बायो कंप्रेस्ड गैस प्लांट बना रहा है. जो दिसंबर माह तक पूरा हो जाएगा. इसके बनने से कचरे को गैस में बदलकर इसका उपयोग किया जाएगा. दरअसल, रांची शहर और निगम क्षेत्र के घरों से निकलने वाला सारा कचरा रिंग रोड स्थित झिरी डंपिंग यार्ड में डाला जाता है. वर्षों से कूड़ा डंपिंग के कारण झिरी में कूड़े का पहाड़ बनता जा रहा है. हजारों मीट्रिक टन कूड़ा जमा हो रहा है. इससे आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
रोजाना 300 मीट्रिक टन गीले कचरे की जरूरत:लोगों की परेशानी को देखते हुए नगर निगम बायो कंप्रेस्ड गैस प्लांट बना रहा है. इससे निकलने वाली गैस का उपयोग वाहनों के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है. लेकिन ऐसा सिर्फ नगर निगम के प्रयास से नहीं होगा, बल्कि निगम क्षेत्र में रहने वाले आम लोगों के भी प्रयास की जरूरत होगी. दरअसल, डंपिंग यार्ड में नालियां बनाई जा रही हैं. बायो कंप्रेस्ड प्लांट में रोजाना 300 मीट्रिक टन गीले कचरे की जरूरत होगी. क्योंकि इस प्लांट में सिर्फ गीले कचरे से ही गैस बनाई जा सकती है.
आदेश के बाद भी लोग नहीं कर रहे कचरा अलग: नगर निगम ने हाल ही में आदेश जारी किया था कि आम लोग अपने घरों में ही गीला कचरा और सूखा कचरा का निपटान करें. नगर निगम द्वारा कचरा संग्रहण वाहनों को भी संशोधित किया जा रहा है ताकि आम लोगों द्वारा एकत्र किये गये अलग-अलग कचरे को वाहनों में अलग-अलग रखा जा सके. लेकिन नगर निगम के इस आदेश के बावजूद शहरवासी गीला कचरा और सूखा कचरा एक साथ निगम की गाड़ियों में भेज रहे हैं. जिसके कारण बायो गैस प्लांट के लिए गीले कचरे को अलग करना निगम के लिए चुनौती बनती जा रही है.
कर्मचारियों ने बताया कि निगम ने आम लोगों को पर्चियां भी बांटी थीं, जिसमें साफ लिखा था कि वे अपने घरों से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग रखें. लेकिन इसके बावजूद लोग गीला और सूखा कचरा एक साथ ही फेंक रहे हैं.
बता दें कि रांची नगर निगम का सारा कचरा झिरी इलाके में बने डंपिंग यार्ड में डाला जाता है. अब तक 1 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा जमा हो चुका है, जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसीलिए डंपिंग यार्ड को समतल भूमि में तब्दील करने के लिए सारे कूड़े का इस्तेमाल गैस बनाने में किया जाएगा.