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रांचीः मेयर ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र, नगर आयुक्त पर लगाया मनमानी करने का आरोप - राजनीति का मैदान बना रांची नगर नगर निगम

रांची नगर निगम मेयर आशा लकड़ा और नगर आयुक्त के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.अब मेयर ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नगर आयुक्त की शिकायत की है. उन्होंने आयुक्त पर मनमानी और झारखंड नगरपालिका के प्रावधानों को दरकिनार कर विभिन्न योजनाओं को पारित करने का आरोप लगाया है.

mayor wrote a letter to the chief secretary in ranchi
मेयर ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

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Published : May 7, 2021, 12:21 PM IST

रांची:मेयर आशा लकड़ा और नगर आयुक्त के बीच विवाद का समाधान नहीं हो पा रहा है. दोनों में लंबे समय से आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. इसी कड़ी में अब मेयर आशा लकड़ा ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नगर आयुक्त की शिकायत की है. उन्होंने अपने पत्र में आयुक्त पर मनमानी करने और झारखंड नगरपालिका के प्रावधानों को दरकिनार कर विभिन्न योजनाओं को पारित करने के लिए दबाव बनाने की शिकायत की है.
उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र के माध्यम से कहा कि रांची नगर निगम क्षेत्र में किसी भी योजना को धरातल पर उतारने के लिए स्थाई समिति और रांची नगर निगम परिषद से स्वीकृति लेना अनिवार्य है.

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नियमों का उल्लंघन

स्थाई समिति और निगम परिषद की स्वीकृति के बाद ही संबंधित योजना का निष्पादन किया जा सकता है लेकिन नगर आयुक्त स्थाई समिति और निगम परिषद की स्वीकृति के बिना ही कई योजनाओं को प्रशासनिक और तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर संबंधित योजनाओं का टेंडर कर रहे हैं. इसके अलावा नगर आयुक्त 15वें वित्त आयोग के तहत आवंटित राशि का दुरुपयोग कर रांची नगर निगम के चयनित जनप्रतिनिधियों के अधिकार का हनन कर रहे हैं.

जनप्रतिधियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

मेयर ने कहा कि नागरिक सुविधा मद की राशि मेयर, डिप्टी मेयर, नगर आयुक्त और सभी वार्ड पार्षदों के बीच निर्धारित अनुपात में आवंटित की जाती है. नगर आयुक्त सिर्फ अपने हिस्से की आवंटित राशि से ही नगर निगम क्षेत्र में किसी योजना को स्वीकृति प्रदान कर सकते हैं लेकिन इन दिनों वे 15 वें वित्त आयोग और नागरिक सुविधा मद की राशि पर अपना एकाधिकार करना चाहते हैं. ऐसी परिस्थिति में नगर आयुक्त ही रांची नगर निगम के 53 वार्डों के नीति निर्धारक हो जाएंगे, तो मेयर, डिप्टी मेयर समेत 53 वार्ड पार्षदों की भूमिका क्या होगी.

झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के तहत मेयर, डिप्टी मेयर और 53 वार्ड पार्षदों को भी नगर निगम क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं प्रस्तावित करने का अधिकार है. अगर नगर आयुक्त केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से आवंटित फंड पर अपनी मनमानी करेंगे तो चयनित जनप्रतिनिधि आम जनता की मांगों और विकास कार्यों को कैसे पूरा करेंगे.

क्या कहा मेयर ने

मेयर ने कहा है कि जहां तक उन्हें जानकारी है कि स्थाई समिति और निगम परिषद की स्वीकृति के बिना किसी कार्य से संबंधित भुगतान नहीं किया जा सकता. ऐसे में नगर आयुक्त स्वतः प्रशासनिक और तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर नगर निगम क्षेत्र या नगर निगम क्षेत्र के बाहर किसी प्रकार का कार्य कराएंगे तो, संबंधित योजनाओं को पूरा करने वाले संवेदकों को भी किए गए कार्य का भुगतान प्राप्त करने में परेशानी होगी.

मेयर ने संवेदकों से आग्रह करते हुए कहा कि रांची नगर निगम से संबंधित किसी प्रकार के टेंडर और अन्य कार्यों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने से पूर्व ये जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें कि संबंधित योजना की स्वीकृति स्थाई समिति और निगम परिषद से दी गई है या नहीं, क्योंकि रांची नगर निगम में नगर आयुक्त समेत कोई भी अधिकारी स्थाई तौर पर कार्यरत नहीं है.

इन लोगों को दी पत्र की प्रतिलिपि

समय-समय पर राज्य सरकार के आदेश अनुसार अधिकारी स्थानांतरित होते रहे हैं. कहीं ऐसा न हो कि अधिकारियों की गलत नीति के कारण आपकी मेहनत की कमाई कानूनी प्रावधानों की जटिल प्रक्रिया में उलझ कर रह जाए. मेयर ने मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, लोकसभा सांसद संजय सेठ, राज्य सभा सांसद महेश पोद्दार, दीपक प्रकाश, रांची नगर निगम क्षेत्र के सभी विधायकों, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव, डिप्टी मेयर और नगर आयुक्त समेत 53 वार्ड पार्षदों को भी दी है.

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