रांची: एतिहासिक तपोवन मंदिर का सौंदर्यीकरण होना है. जल्द ही ये मंदिर अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तरह दिखाई देगा. उसी तर्ज पर तपोवन मंदिर का प्रारूप भी तैयार किया गया है. इसका डिजाइन जानेमाने आर्किटेक्चर सीवी सोनपुरा ने किया है. तपोवन मंदिर के महंत ओमप्रकाश शरण के अनुसार नये प्रारूप के अनुरूप मंदिर का शिलान्यास जल्द ही किया जाएगा. जिसपर प्रारंभिक लागत करीब 200 करोड़ है. ये श्रद्धालुओं के द्वारा दिए जाने वाले सहयोग राशि से तैयार होगा.
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64 फीट ऊंचा होगा मंदिर:अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से मिलता जुलता बनने वाले नये तपोवन मंदिर की भव्यता दूर से ही दिखाई देगी. अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर में तीन शिखर हैं. मगर तपोवन मंदिर में विराजित देवी देवताओं की संख्या अधिक होने के कारण यहां मंदिर में तीन से ज्यादा शिखर होंगे. अयोध्या से आने वाले कारीगर इस मंदिर का निर्माण करेंगे जो 64 फीट ऊंचा होगा. तपोवन मंदिर के महंत ओम प्रकाश शरण के अनुसार मंदिर निर्माण में राजस्थान के धौलपुर के पत्थरों का इस्तेमाल होगा.
मंदिर में प्रवेश करते ही होंगे श्रीराम के दर्शन: तपोवन मंदिर के महंत ने बताया कि मंदिर में प्रवेश करते श्रद्धालुओं को भगवान श्रीराम और माता सीता के दर्शन होंगे. उनके बाईं तरफ हनुमान जी की प्रतिमा होंगी. वहीं दाईं तरफ प्रभु दर्शन जगन्नाथ के दर्शन होंगे. इसके अलावा इनके चारों तरफ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन भी श्रद्धालु कर सकेंगे. नये मंदिर निर्माण की तैयारी अंतिम चरण में है. मंदिर निर्माण के लिए बनी श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट ने नक्शा पास कराकर शीघ्र शिलान्यास कराने की तैयारी में है. अगर नक्शा पास हो जाता है तो जल्द ही शिलान्यास की तारीख घोषित हो जायेगी.
एक साल के अंदर आधा काम करना है पूरा: योजना के अनुसार निर्माण कार्य शुरू होने के एक साल में मंदिर का आधा काम पूरा करना है. शेष कार्य तीन वर्षों के भीतर करना है, जिससे भक्तों को मंदिर में आने में कोई परेशानी ना हो. नाम के अनुरूप रांची के निवारनपुर स्थित तपोवन मंदिर का खास महत्व है, जिसके प्रति लोगों की आस्था लंबे समय से बनी हुई है. कहा जाता है कि यह स्थल 375 साल पुराना है जो आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद ही खास है. इस मंदिर की एक खासियत यह भी है कि यहां भगवान का पहनावा और श्रृंगार अयोध्या शैली पर होता है. अयोध्या में जिस तरह से भगवान श्री राम का पूजन होता है, उसी तरह से तपोवन मंदिर में भी किया जाता है. यहां के महंत का भी चयन अयोध्या से ही होता है.