रांची: पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिलने के कारण एचईसी कर्मचारियों और पदाधिकारियों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है. इसके अलावा बीच-बीच में कारखाना का काम बंद करके भी प्रबंधन को चेतावनी दी जा रही है. इसी कड़ी में गुरुवार को एचईसी के कर्मचारियों और पदाधिकारियों ने मुख्यालय से होते हुए नेहरू पार्क तक पैदल मार्च किया और प्रबंधन के खिलाफ नारे लगाए.
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अपने वेतन की मांग को लेकर पैदल मार्च कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि जब तक उन्हें वेतन नहीं मिल जाता तब तक वो ऐसे ही संघर्ष करते रहेंगे. इस मार्च में एचईसी से जुड़े 8 यूनियन के मजदूर शामिल हुए. जिसमें सैकड़ों मजदूरों ने प्रबंधन से जल्द बकाए वेतन भुगतान की मांग की. कर्मियों को संबोधित करते हुए हटिया मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह ने कहा कि अगर मजदूरों को उनके काम का पैसा नहीं दिया जाता है तो कानून में इसे धोखाधड़ी का केस माना जाता है. एचईसी प्रबंधन मजदूरों से धोखा कर रहा पर केंद्र और राज्य सरकार आंखें मूंद कर बैठी है.
भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री रामाशंकर ने कहा कि एक साल से ज्यादा समय कारखाने में सीएमडी की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है. जिस वजह से किसी भी तरह का काम कारखाने के अंदर नहीं हो पा रहा है. पिछले एक साल से ज्यादा का मजदूरों का वेतन बकाया है और प्रबंधन इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है. प्रबंधन और सरकार की जिद्दी रवैये को देखते हुए मजदूर और यूनियन के लोग दिल्ली कूच करेंगे. जहां वो सीधे केंद्र सरकार से अपनी समस्या के समाधान की गुहार लगाएंगे.
करीब 2 हजार कर्मचारी प्रभावितः इस पैदल मार्च के बाद मजदूरों ने कहा कि जल्द ही प्रबंधन और रीजनल लेबर कमिश्नर (आरएलसी) एवं मजदूर यूनियन के बीच वार्ता की जाएगी. जिसके बाद यह तय होगा कि वेतन का भुगतान मजदूरों और कर्मचारियों को कब तक की जाएगी. एचईसी में काम करने वाले करीब दो हजार से ज्यादा ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें एक साल से भी अधिक समय तक वेतन नहीं मिला है. उनमें कई ऐसे हैं जो दूसरे काम करने के लिए मजबूर हैं. इनमें से एक कनीय कर्मचारी हैं जो अब सड़क पर ठेले खोमचे लगाने को मजबूर हो गए हैं.
2005 से शुरू हुआ एचईसी का बुरा दौरः रांची के धुर्वा में बने एचईसी को मातृ उद्योग के रूप में देखा जाता था और इसके साथ अन्य कई कारखाने संचालित होते थे. वर्ष 2005 के बाद एचईसी लगातार रसातल में जाता रहा और वर्तमान समय में एचईसी की आर्थिक हालत काफी खराब हो गई है. आज यह कारखाना बंद होने के कगार पर पहुंच गया है जबकि 60 से 90 के दशक में इस कारखाने में काम करने वाले कर्मचारी खुद को भाग्यशाली मानते थे. एक दौर ऐसा भी रहा कि एचईसी में काम करने वाले अधिकारी, पदाधिकारी, इंजीनियर और यहां के मजदूरों ने चंद्रयान के लिए लॉन्चिंग पैड तक का निर्माण किया है, वहीं रक्षा एवं रेलवे के क्षेत्र में भी एचईसी ने कई निर्माण कर नाम कीर्तिमान रचा है.