रांचीः राजधानी सहित राज्य के सभी प्रमुख शहरों में मुफ्त वाई फाई सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने वृहद कार्य योजना बनाई थी. जिसके तहत शहर के प्रमुख स्थलों पर हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा दिया जाना था. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसका नाम ट्रांसफार्मिग रांची इनटू सिटी वाई फाई योजना दिया. मगर हकीकत यह है कि यह योजना धरातल पर आने से पहले ही विभागीय उलझनों में फंसकर दम तोड़ दिया है.
विभाग द्वारा इसको लेकर 2016 से ही कवायद की जा रही है. हास्यास्पद बात यह है कि विभाग ने 2017-18 के वार्षिक कार्य योजना में इसे शामिल करते हुए 2 करोड़ का विभागीय बजट में प्रावधान भी किया था. कार्य का जिम्मा बीएसएनएल को दिया गया और इसपर लाखों रुपये खर्च भी हो गए मगर रिजल्ट ढाक के तीन पात साबित हुए. विभागीय अधिकारियों की हालत ऐसी है कि इस संबंध में बोलने से परहेज कर रहे हैं. जैप आईटी के माध्यम से प्रारंभ में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट इतना उलझता चला गया कि सरकार बदलते ही इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
विभाग पर सवाल, नगर निगम ने भी मोड़ा मुंहः बेंगलुरु, इंदौर जैसे देश के अन्य शहर की तरह राजधानी रांची को भी हाईटेक बनाने का सपना अभी भी अधर में है. ऐसे में चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार के उदासीन रवैया पर सवाल खड़ा करते हुए इस पर पहल करने की मांग की है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष दीनदयाल वर्णवाल के अनुसार डिजिटल युग में वाई फाई कनेक्टिविटी आवश्यक आवश्यकता की वस्तु बन गई है.
यह वर्तमान समय की मांग है जिसे सबने कोरोना के समय में महसूस किया है. आज अगर राज्य के शहरों में उपलब्ध रहता तो बच्चों को ऑनलाइन पढाई में असुविधा नहीं होती. इधर इसको लेकर सियासी दलों ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. हालांकि खास बात यह है कि सिटी वाई फाई पर सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता एकमत दिख रहे हैं. रांची विधायक सीपी सिंह ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि यह सरकार डिजिटल युग में नहीं बल्कि पुराने लालटेन युग में जनता को रखना चाहती है. इस वजह से यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई.