रांची: कोयला तस्करी के मामले को लेकर रामगढ़ एसपी की रिपोर्ट ने झारखंड पुलिस महकमे में खलबली मचा दी है. रामगढ़ एसपी ने अपनी रिपोर्ट में आईजी स्तर के एक अधिकारी के साथ-साथ एक डीएसपी को भी कोयला तस्करी के लिए जिम्मेदार बताया है. झारखंड में यह पहली बार हुआ है जब एक जूनियर पुलिस अधिकारी ने अपने सीनियर को कोयला तस्करी के मामले में संलिप्त बताते हुए मुख्यालय को रिपोर्ट सौंपी है.
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क्या है पूरा मामला ?
दरअसल हाल के दिनों में रामगढ़ से कांग्रेस की विधायक ममता देवी ने यह आरोप लगाया था कि रामगढ़ में पुलिस अधिकारियों की देखरेख में ही कोयला तस्करी कराई जा रही है. विधायक ने कोयला तस्करी मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी शिकायत की थी जिसके बाद रामगढ़ एसपी से जांच कर रिपोर्ट मांगी गई थी. कोयला तस्करी के मामले में रामगढ़ एसपी प्रभात कुमार ने अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय में आईजी एचआर को सौंप दी है.
लगातार विवादों में है झारखंड पुलिस
कोयला तस्करी को लेकर इससे पहले भी कई बार पुलिस अधिकारियों पर सवाल खड़े होते रहे हैं. वहीं अगर पिछले एक साल की बात करें तो झारखंड में पुलिस अफसरों की गलती के कारण कई बार शर्मसार हुई है. राज्य पुलिस के जूनियर पुलिस अफसरों से लेकर सीनियर अधिकारियों की भूमिका अलग-अलग मामलों में जांच के दायरे में है. बीते छह माह में ही जांच में कई ऐसे मामले सामने आए जब अधिकारियों को गलती के कारण जेल तक जाना पड़ा. कोयला तस्करी, दुष्कर्म, शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने, गांजा प्लांट करने तक में पुलिस अफसरों की भूमिका संदिग्ध के तौर पर सामने आई है.वहीं नक्सल अभियान के नाम पर ग्रामीणों की हत्या के गलत मामलों में कई पुलिसकर्मियो पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है.
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कोयला तस्करी मामले में डीएसपी सहित चार अप्राथमिक अभियुक्त
लातेहार में अवैध कोयला की तस्करी के मामले में डीएसपी, इंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मियों पर सीआईडी अपना शिकंजा कस चुकी है. सीआईडी जांच के आधार पर लातेहार के पूर्व डीएसपी रणवीर सिंह, बालूमाथ के ही पूर्व थानेदार राजेश मंडल के साथ साथ दोनों के मुंशियों को भी अप्राथमिक अभियुक्त बनाया गया है. झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोयला तस्करी के मामले में पुलिसकर्मियों को साक्ष्य के आधार पर किसी केस में अप्राथमिक अभियुक्त बनाया गया है. पिछले साल जून महीने में कोयला तस्करी को लेकर दर्ज बालूमाथ थाने में दर्ज एफआईआर को सीआईडी ने टेकओवर किया था. जुलाई 2020 में सीआईडी के डीएसपी जेपीएन चौधरी ने केस की जांच शुरू की थी.
निरसा डीएसपी, थानेदार पर वसूली के आरोप
धनबाद के साफ्ट कोक भट्ठों के संचालक ने निरसा थानेदार सुभाष सिंह पर अवैध वसूली के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया था. मामले की जांच डीसी ने कराई तो आरोप सही निकला. डीसी ने अनुशंसा की कि तत्काल थानेदार को हटाया जाए, वहीं मामले में निरसा डीएसपी की भूमिका भी संदिग्ध के तौर पर उभरी है.
गांजा प्लांट केस में भी डीएसपी की भूमिका संदिग्ध