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रांचीः कमर्शियल माइनिंग को लेकर अदालत से आएगा निर्णय, रामेश्वर उरांव ने जताई उम्मीद - Petition against commercial mining

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा है कि कोयला क्षेत्र में कॉमर्शियल माइनिंग के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ जल्द ही अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद है.

रामेश्वर उरांव
रामेश्वर उरांव

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Published : Jul 14, 2020, 8:34 PM IST

रांचीःझारखंड कोल आवंटन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इसको लेकर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने मंगलवार को कहा है कि कोयला क्षेत्र में कॉमर्शियल माइनिंग के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ जल्द ही आएगा. इस बाबत उन्होंने सर्वोच्च अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केन्द्र सरकार को भेजे गए नोटिस से झारखंड की जनता को आशा और विश्वास जगी है.

उन्होंने कहा हम सर्वोच्च न्यायालय के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने करीबी पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए आनन-फानन में कॉमर्शियल माइनिंग के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया. जब वैश्विक महामारी कोरोना संकट के वक्त पूरी दुनिया में कोयले की मांग घट गयी है. अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा स्थगित है. उस समय ग्लोबल टेंडर के नाम पर अपने करीबी को फायदा पहुंचाने का निर्णय लिया गया जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.

यह भी पढ़ेंःकमर्शियल माइनिंग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, सीएम सोरेन ने किया धन्यवाद

उन्होंने कहा कि कॉमर्शियल माइनिंग की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के पहले न तो राज्य सरकार से कोई सलाह-मशविरा किया गया और न ही राज्यों के हितों का ध्यान रखा गया. वहीं केंद्र सरकार ने एकतरफा फैसला लेकर संघीय ढांचे पर भी प्रहार करने का काम किया है. राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सर्वाच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और जल्द ही न्याय मिलने की उम्मीद है.

इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से कोल ब्लॉक की नीलामी के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति देने के लिए धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण, वनों और वन में निवास करने वाले समुदायों को सुरक्षित करने के लिए सर्वांगीण विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है. दरअसल, राज्य सरकार ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जिसकी सुनवाई हुई और कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है.

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