रांची:जब सपनों का आशियाना टूट जाता है तो आंखों में आंसू देखने को मिलते हैं, क्योंकि लोगों की यादें और कई अरमान उस आशियाने में छूट जाते हैं. कुछ ऐसा ही नजारा राजधानी के बिरसा चौक पर देखने को मिला, जहां पर रेलवे ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया (Railway Campaign Against Encroachment), जिसमें सैकड़ों घर पर कार्रवाई हुई.
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बिरसा चौक के पास अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत रेलवेकर्मियों ने पुलिसकर्मियों की मदद से नोटिस मिलने के बाद भी घर नहीं छोड़ रहे अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की. कर्मचारियों ने बुलडोजर से इन घरों को तोड़ दिया. इस दौरान वहां गहमागहमी रही. घर टूटने के बाद सुचित्रा कुमारी ने कहा कि रेलवे ने गरीबों का आशियाना तोड़ दिया लेकिन उनके रहने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की. ऐसे में अब वह गरीब लोग कहां जाएंगे जो वर्षों से यहां रह रहे थे. सुचित्रा कुमारी ने बताया कि रेलवे यदि गरीब लोगों को बेघर करता है तो उन्हें कहीं पर जमीन भी मुहैया कराए.
लोगों पर इस पर ऐतराजः रेलवे की कार्रवाई के बाद जिन लोगों का आशियाना टूट गया. वो टूटे हुए मकान के मलबे के बीच से महंगे और यादगार सामान चुनते नजर आए. 20 वर्षों से अपने आशियाने में रह रहे लोगों की आंखों में नमी थी. लोगों ने बताया कि रेलवे ने नोटिस जारी किया था तो उन्हें कुछ और समय देना चाहिए था ताकि लोग अपने सामान को सुरक्षित जगह पर रख सकते.
लोगों ने अपना आक्रोश जाहिर करते हुए बताया ठंड के मौसम में जिस तरह से बीच सड़क पर रेलवे के कर्मचारियों ने गरीबों और मजदूरों को छोड़ दिया है, यह गलत है. उन्हें गरीब लोगों पर रहम करना चाहिए और ठंड के मौसम में इस तरह का अतिक्रमण अभियान नहीं चलाना चाहिए, जिससे झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोग बेघर हों.