रांची:झारखंड के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों डोर टू डोर हेल्थ सर्वे अभियान चल रहा है. इस अभियान में सर्वे के दौरान जिन लोगों में कोरोना के लक्षण या जिस परिवार में पिछले दो महीने में किसी की मौत हुई हो उस परिवार के अन्य सदस्यों का रैपिड एंटीजन टेस्ट(एंटीजन किट) कराया जा रहा है. एंटीजन किट की विश्वसनीयता पर शुरू से सवाल उठते रहे हैं कि इसमें 30 से 40% तक फॉल्स रिपोर्टिंग की संभावना होती है. ऐसे में अभी तक ग्रामीण इलाकों में एक लाख 30 हजार 507 लोगों के एंटीजन किट में महज 796 लोगों का कोरोना पॉजिटिव मिलना यह सवाल खड़े करता है कि क्या वास्तव में ग्रामीण इलाकों में कोरोना का संक्रमण इतना कम है या फिर एंटीजन किट से हो रही जांच की रिपोर्ट ही संदिग्ध है.
रैपिड एंटीजन टेस्ट की जांच पर सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि सरकार इस पर भले भरोसा कर रही हो लेकिन आरटीपीसीआर, ट्रू नेट और रैपिड एंटीजन टेस्ट से हुई जांच में पॉजिटिविटी रेट में बड़ा अंतर कई सवाल खड़े करता है. कुछ दिन पहले राज्य में आरटीपीसीआर की पॉजिटिविटी रेट 6.27%, ट्रू नेट का 11.13% और रैपिड एंटीजन किट से जांच की पॉजिटिविटी रेट 1.11% ही था. अब आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर क्यों है यह एक बड़ा सवाल है.
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