रांचीः स्थायीकरण की मांग को लेकर झारखंड के 2500 सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन रांची के मोरहाबादी मैदान में छह दिनों से जारी है. स्थायीकरण की मांग को लेकर सहायक पुलिसकर्मी रांची के मोरहाबादी मैदान में आ रही तमाम कठिनाइयों के बावजूद डटे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान सहायक पुलिसकर्मियों को लेकर राजनीति का भी स्थल बना हुआ है.
हर दिन आ रहे बड़े नेता
सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन की शुरुआत के दिन से ही मोरहाबादी मैदान में बड़े और छोटे नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है. बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास जैसे दिग्गज नेता भी मोरहाबादी मैदान पहुंच सहायक पुलिसकर्मियों के मामले को भुनाने में लगे हुए हैं, लेकिन सहायक पुलिसकर्मियों की समस्या का हल अब तक कोई नहीं दे पाया. यहां तक की सत्ता पक्ष के भी कई नेता मोरहाबादी मैदान पहुंच शायद पुलिसकर्मियों से हर रोज मिल रहे हैं, लेकिन उनके समस्या का समाधान उनसे भी नहीं निकल पा रहा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो वर्तमान में सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन झारखंड की राजनीतिक पार्टियों के लिए एक मौका बनकर सामने आया है, लेकिन आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि उन्हें इसके राजनीति से कोई मतलब नहीं है. वह तो सिर्फ यही चाहते हैं कि सरकार से उनकी सीधी बात हो ताकि उनकी समस्या का समाधान निकल सके.
मेयर आई मिलने, दूसरे दिन निकली पॉजिटिव
रांची की मेयर आशा लकड़ा आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों से आकर मिली थीं. काफी समय उन्होंने मोरहाबादी मैदान में गुजारा, ठीक दूसरे ही दिन वह कोविड-19 पॉजिटिव निकली. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि कई सहायक पुलिसकर्मी भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो सकते हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से कोविड जांच की कोई कोशिश नहीं की गई है. ताकि सहायक पुलिस कर्मियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाया जा सके.