रांचीः शिक्षक दिवस के मौके पर राजधानी रांची के मोरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष नेशनल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के बैनर तले राज्य के छोटे निजी स्कूल संचालकों ने प्रदर्शन किया और वर्षों से संचलित इन स्कूलों को आरटीई के तहत मान्यता देने की मांग की गई. इस दौरान इस विकट परिस्थिति में सरकार से सहायता की भी उम्मीद जताई गई.
संचालकों ने किया प्रदर्शन
शिक्षक दिवस के दिन को हर कोई अपने-अपने तरीके से मना रहे हैं. विद्यार्थियों की ओर से शिक्षकों को शुभकामनाएं दी जा रही है. तो शिक्षक भी अपने विद्यार्थियों को इस दिवस विशेष को लेकर आशीष दे रहे हैं. लेकिन ऐसे भी शिक्षक वर्ग है जो इस शिक्षक दिवस के दिन आंदोलित है. राजधानी रांची के मोरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष नेशनल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के बैनर तले निजी स्कूल संचालकों ने प्रदर्शन किया. साथ ही अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार से अपील भी की गई. एसोसिएशन का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार शिक्षक स्कूलों का संचालन कर रहे हैं. लेकिन उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी भुखमरी के कगार पर
संचालकों की मानें तो कोरोना काल के दौरान इनके स्कूलों के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी भुखमरी के कगार पर हैं, लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. स्कूल का बिजली बिल मेंटेनेंस करना भी काफी मुश्किल हो गया है. यहां तक कि कई शिक्षकों को अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है. इन शिक्षकों ने आरटीआई के तहत वर्षों से संचालित इन स्कूलों को मान्यता देने की बात भी कही है. इस मामले को लेकर कई बार शिक्षा विभाग को अवगत भी कराया गया है, लेकिन अब तक इनकी और किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. इसी कड़ी में शिक्षक दिवस के दिन को चुनते हुए इन शिक्षकों ने मोरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया.
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गौरतलब है कि सिर्फ राजधानी रांची में ऐसे 1600 स्कूल संचालित है जिन्हें अब तक राज्य सरकार की ओर से मान्यता नहीं दी गई है. जबकि ऐसे स्कूलों में बच्चों की संख्या भी हजारों की तादाद में है. इसके बावजूद भी इन्हें मान्यता नहीं मिला है. इस मामले को लेकर इन शिक्षकों ने कहा है कि आने वाले समय में आंदोलन को तेज किया जाएगा. शिक्षक दिवस के दिन यह लोग आंदोलन करने को विवश हुए तब जाकर गांधी प्रतिमा के समक्ष आंदोलन करने पहुंचे.