रांची: कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के अनुदान मांग पर वाद विवाद के दौरान कटौती प्रस्ताव लाने वाले भाकपा माले विधायक बिनोद सिंह ने कई मसलों को उठाया. उन्होंने किसानों की आत्महत्या का उठाते हुए कहा कि सरकार को पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तरी छोटानागपुर की सिचाई व्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है. इसपर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के रिपोर्ट के मुताबिक 12 जिलों की उर्वरता बहुत कम है. लिहाजा, इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए. बिनोद सिंह ने कहा कि गैस पाइप लाइन के कारण बड़ी संख्या में किसान प्रभावित हुए हैं. उन्हें संबंधित जमीन पर न चापाकल गाड़ने की अनुमति मिलती है और न मकान बनाने की. इस समस्या का समाधान होना चाहिए. किसानों की जो जमीन अधिग्रहित की गई है लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं हुआ है उसे किसानों को लौटाना चाहिए. छोटे किसानों को सुलभ कर्ज मुहैया कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
प्रदीप यादव ने क्या कहा
विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि झारखंड में इस विभाग की महत्ता सबसे ज्यादा है क्योंकि सबसे बड़ी आबादी कृषि पर आश्रित है. उद्योग से सिर्फ 3 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिलता है 13 से 14 प्रतिशत लोगों को. उन्होंने सरकार द्वारा किसानों के कर्ज माफी की दिशा में उठाए गए कदम की सराहना की. साथ ही बीज ग्राम के नाम पर हुए घोटाले की जांच का मुद्दा उठाया.
प्रदीप यादव ने कहा कि किसानों को वक्त पर बीज नहीं मिलता जबकि अधिकारियों की मिलीभगत से बीज ग्राम के जरिए किसानों के ही बीज खरीदकर बोरियों पर लेबल लगाकर महंगे दाम पर बेचा जाता है. उन्होंने एजी की रिपोर्ट का भी जिक्र किया. जिसके मुताबिक दुधारू जानवर के लिए पौष्टिक मिक्चर की खरीददारी के नाम पर 2012 से 17 के बीच करोड़ों का घपला हुआ. झारखंड मिल्क फेडरेशन की भूमिका पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि किसानों से 26 रुपए प्रति लीटर की दर से दूध खरीदा जाता है और उसे 40 रुपए से ज्यादा प्रति लीटर की दर से बेचा जाता है. ट्रैक से उतरा हुआ है कृषि विभाग. हर योजना में है घोटाता, बिचौलिया हावी हैं. अधिकारियों की मिलीभगत से किसान परेशान हैं.