रांची: 3 मार्च को झारखंड विधानसभा में बजट पेश होने जा रहा है, ऐसे में राज्य के हर एक वर्ग को इससे काफी उम्मीदें है. झारखंड में आपातकाल में मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा भी इस बजट से उम्मीद लगाए बैठा है. यह भरोसा जताया जा रहा है कि आने वाले समय में पूरे राज्य में एंबुलेंसो की संख्या बढ़ाई जाएगी. साथ ही वर्तमान में जो कमी और खामियां है उसे भी आगामी बजट में दूर करने का प्रयास किया जाएगा.
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मरीजों के लिए अहम है 108 एंबुलेंस सेवा:करीब 5 साल पहले शुरू किया गया ये एंबुलेंस सेवा मरीजों के लिए काफी अहम है. ये राज्य के विभिन्न जिलों में लोगों को आपातकालीन स्थिति में अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे हैं. आंकड़ों को देखें तो 108 एंबुलेंस सेवा से अब तक कुल सात लाख 56 हज़ार 742 मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने का काम किया गया है. वही कोरोना काल के दौरान भी 108 एंबुलेंस का अहम योगदान रहा. कोरोना काल के दौरान 108 एंबुलेंस से 39439 मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम किया गया.
बजट से एंबुलेंस की संख्या बढ़ने की उम्मीद:झारखंड में 108 एंबुलेंस को संचालित करने वाले जिकित्जा कंपनी के डायरेक्टर मिल्टन सिंह की मानें तो राज्य के विभिन्न जिलों में एंबुलेंस की संख्या सीमित मात्रा में है. ऐसे में सभी मरीजों तो तत्काल सेवा मुहैया कराने में मुश्किलें पेश आ रही है. इससे पहले स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 117 नए ऐंबुलेंस खरीदने का प्रस्ताव लाया गया था. जिसे बढ़ाकर 200 कर दिया गया. लेकिन ये सभी प्रस्ताव अभी कागजों पर ही दौड़ रहे हैं.
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अधिकारियों की वजह से होती है दिक्कत:जिकित्ज़ा कंपनी के डायरेक्टर मिल्टन सिंह बताते हैं कि 108 एंबुलेंस सेवा स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करता है. लेकिन विभाग के कुछ एक उदासीन अधिकारियों की वजह से 108 एंबुलेंस सेवा को गति नहीं मिल पा रही है. जरूरत है सरकार इसको लेकर और भी सजग हो ताकि हम लोगों तक 108 एंबुलेंस सेवा को ज्यादा से ज्यादा पहुंचा सके. ईटीवी भारत की टीम ने जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से जानकारी लेने की कोशिश कि क्या आगामी बजट सत्र के दौरान 108 एंबुलेंस सेवा की नई गाड़ियों की खरीदारी की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. इस पर वे जवाब देने से बचते नजर आए.
बेहद खराब हालत में है 108 एंबुलेंस सेवा:वर्तमान में 108 एंबुलेंस सेवा की बात करें तो उसकी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है क्योंकि कई जिलों में जिलों में एंबुलेंस की संख्या काफी कम है. वहीं कई बार 108 एंबुलेंस को धक्का मार गाड़ी के रूप में भी देखा जाता है. इसको लेकर 108 एंबुलेंस की जिम्मेदारी लिए जिकित्ज़ा के संचालक बताते हैं कि 108 एंबुलेंस में कई कंपनियों की गाड़ी खरीदनी पड़ती है. ऐसे में कई बार गाड़ियों में भी तकनीकी खराबी देखने को मिलती है. इसलिए कई बार 108 एंबुलेंस को धक्का मारना पड़ता है उन्होने बताया कि जिस भी एंबुलेंस में तकनीकी खराबी आती है उस एंबुलेंस को संबंधित कंपनी के गैरेज व मैकेनिकों से संपर्क कर तुरंत ही ठीक करवाया जाता है.
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एंबुलेंसकर्मियों को भी बजट से उम्मीद:वहीं एंबुलेंस में काम करने वाले टेक्नीशियन और ड्राइवरों को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं. कर्मियों का कहना है कि 108 में मरीजों का सेवा करना अच्छा लगता है लेकिन इसके लिए उन्हें भी समय पर वेतन और आर्थिक मदद जरूरी होती है. कर्मियों ने कहा कि कई महीनों तक वेतन नहीं मिलता है जिस वजह से उन्हें दिक्कत होती है.
आम लोगों को भी बजट से उम्मीद:वहीं आम लोगों ने भी बजट से 108 एंबुलेंस की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद जताई है. लोगों ने कहा कि यदि सरकार इस एंबुलेंस की संख्या में बढ़ोतरी कर दे तो आने वाले समय में इसका सीधा लाभ लोगों को मिलेगा. वहीं कुछ बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों ने बताया कि यदि नेशनल हाईवे और एक्सीडेंटल जगहों पर 108 एंबुलेंस को व्यवस्थित तरीके से रखवाया जाए तो समय पर सड़क हादसे में घायल हुए मरीजों को लाभ मिल पाएगा.
किस जिले में कितने एंबुलेंस:अब एक नजर जिलों में कार्यरत 108 एंबुलेंस की संख्या पर डालते हैं. जानकारी के अनुसार रांची में 30 धनबाद में 27 गिरिडीह में 26, जमशेदपुर में 25,बोकारो में 21, पलामू व हज़ारीबाग में 18, चाईबासा में 15, गोड्डा में 12, पाकुड़ में 09, जामताड़ा में 08, खूंटी में 06, लोहरदगा में 05 साहेबगंज व गुमला में 11, रामगढ़ व चतरा में 10, लातेहार, कोडरमा व सिमडेगा में सात-सात एंबुलेंस संचालित हो रहे हैं.