रांची: झारखंड में बीस सूत्री क्रियान्वयन कमेटी का पेंच अभी सुलझा भी नहीं है कि सत्तारूढ़ गठबंधन दलों के भीतर 15 सूत्री कमेटी के गठन को लेकर विवाद गहराने लगा है. सरकार के सहयोगी दल राजद को आशंका है कि 20 सूत्री कमेटी की तरह ही 15 सूत्री कमेटी में पार्टी को नजरअंदाज ना कर दिया जाय. इधर कांग्रेस ने अपनी पूर्ण भागीदारी की मांग मुख्यमंत्री के समक्ष कर झारखंड मुक्ति मोर्चा को सोचने को विवश कर दिया है.
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राजद प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव का मानना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा जल्द ही 15 सूत्री कमेटी (15 Sutri committee) को लेकर बैठक बुलाई जायेगी जिसमें पार्टी को उम्मीद है कि समुचित स्थान मिलेगा. इधर राजद की नाराजगी पर झामुमो प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे ने साफ कर दिया है कि सभी की नाराजगी को दूर करना बेहद ही मुश्किल है. मगर इतना तो जरूर है कि सम्मान जनक स्थान गठबंधन के सभी दलों को जरूर मिलेगा. इधर सत्तारूढ़ दलों के अंदर 15 सूत्री कमेटी को लेकर जारी किचकिच पर विपक्षी दल बीजेपी ने तंज कसते हुए कहा है कि तीन वर्ष बीत गए अभी तक कोई काम कर नहीं सके अब आनेवाला समय चुनावी वर्ष होगा तो रेवड़ी खाने के लिए मारामारी हो रही है.
20 सूत्री कमिटी पूरा हुआ नहीं, 15 सूत्री कमिटी बनाने में जुटी सरकार:राज्य सरकार 20 सूत्री निगरानी कमिटी (20 Sutri monitoring committee) अभी तक पूर्ण रुप से बना नहीं पाई है. आज भी रांची जिला का कमेटी नहीं बन पाया है. इसके अलावा राजधानी कमेटी का मामला अब तक लटका हुआ है. मुख्यमंत्री राज्य स्तरीय 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं. राज्य स्तरीय 20 सूत्री कमिटी सरकार की योजनाओं की समीक्षा और उसके क्रियान्वयन को लेकर सलाह देती है. राज्य स्तरीय कमेटी नहीं होने की वजह से योजनाओं की जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की बेहतर मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है.
15 सूत्री कमेटी अल्पसंख्यकों से संबधित योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर बनती है. सरकार ने इस कमेटी में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सहित विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को स्थान और सम्मान देने का निर्णय लिया है. जल्द ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ घटक दलों की बैठक होगी तत्पश्चात 15 सूत्री समिति की सूची जारी कर दी जाएगी. यह समिति प्रदेश और जिला स्तर पर बनायी जानी है. जानकारी के मुताबिक कांग्रेस, झामुमो और राजद के बीच 15 सूत्री कमेटी के बंटवारे में वही फॉर्मूला अपनाया गया है, जो 20 बीस सूत्री के लिए अपनाया गया था. जिला स्तर पर गठित होने वाली 15 सूत्री कमेटी में चार अल्पसंख्यक कार्यकर्ता सदस्य के रूप में शामिल होंगे. इसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख समेत अन्य अल्पसंख्यक कार्यकर्ता होंगे. बहरहाल अंतिम मुहर लगने से पहले जिस तरह से घटक दलों के बीच दावेदारी की जा रही है उससे साफ लग रहा है कि 15 सूत्री का गठन करना यूपीए के लिए आसान नहीं है.