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कोविड टेस्ट का नया टैरिफः निजी पैथोलॉजिस्ट का विरोध जारी, समीक्षा के बाद होगा विचार- बन्ना गुप्ता - new tariff of Corona Test

कोविड टेस्ट का नया टैरिफ सरकार के लिए रार सिद्ध हो रहा है. कोरोना जांच की नई दर (New Tariff of Corona Test) को लेकर निजी संचालकों की आपत्ति लगातार जारी है. इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने आश्वासन देते हुए कहा कि पहले समीक्षा की जाएगी फिर इसपर विचार होगा.

private pathologist opposed new tariff of Corona Test in Jharkhand
स्वास्थ्य मंत्री

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Published : Jan 28, 2022, 4:26 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 7:44 PM IST

रांचीः झारखंड में कोरोना जांच की नई दर में आई कमी ने निजी जांच घर के संचालकों की परेशानी बढ़ा दी है. राजधानी रांची सहित पूरे राज्य में कोरोना जांच कर रहे निजी जांच घर संचालकों का कहना है कि सरकार ने जो नई दर तय की है वो कहीं से भी जायज नहीं है. उन्होंने कहा कि वो एक मरीज की जांच करने में जितना खर्च करते हैं वह खर्च नए रेट में नहीं निकल पा रहा है. राज्य के प्रतिष्ठित जांच केंद्र की संचालक श्रेया शरण बताती हैं कि एक व्यक्ति का RT-PCR Test में कम से कम 400 से 500 रुपये तक का खर्च बैठता है. सरकार ने नए रेट के हिसाब से आरटीपीसीआर जांच सिर्फ 300 रुपए तय किए गए हैं जिस वजह से निजी जांच घर संचालकों को नुकसान हो रहा है.

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निजी जांच घर के संचालकों का कहना है कि एक व्यक्ति की जांच के लिए वीटीएम, एक्सट्रैक्शन, टिप, कप, ग्लब्स, पीपीई किट की जरूरत पड़ती है. अगर इन सबकी कीमत देखें तो लगभग 400 रुपये खर्च लग जाता है. वहीं जांच करने जाने वाले एक स्वास्थ्यकर्मी को एक्स्ट्रा 150 रुपए देना पड़ता. कुल मिलाकर खर्च को देखें तो एक व्यक्ति के RT-PCR Test पर 500 रुपये खर्च हो रहे हैं लेकिन सरकार ने सिर्फ तीन सौ रुपया में ही निजी जांच घर को टेस्ट करने के निर्देश दिए हैं. निजी पैथोलॉजिस्ट डॉ. श्रेया शरण बताती हैं कि जो नया रेट तय किया गया है ऐसे में जांच की क्वालिटी में अंतर पड़ सकता है. निजी जांच घर के संचालकों की मांग है कि केरल की तर्ज पर झारखंड में भी 500 रुपया टेस्टिंग दर और 200 रुपया स्वास्थ्य कर्मचारी को ट्रांसपोर्टिंग का चार्ज दिया जाए.

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संचालकों की मानें तो एक जांच में अच्छी क्वालिटी का वीटीएम का उपयोग किया जाए तो तो सिर्फ वीटीएम का कीमत 25 रुपया पड़ता है. इसके अलावा ग्लब्स की कीमत 8 से 10 रुपया होता है. इसके अलावा पीपीई किट और जांच में उपयोग होने वाले केमिकल की कीमत को मिलाकर देखे हैं तो एक सैंपल की जांच करने में कम से कम 400 रुपये खर्च होते हैं. इन सब खर्च के बाद जो स्वास्थ्यकर्मी सैंपल लेने जाते हैं उन्हें 150 रुपया देना पड़ता है. एक जांच पर 550 रुपया खर्च हो रहा है लेकिन सरकारी दर के हिसाब से जांच का दर सिर्फ 300 रुपया कर दिया गया है. वहीं जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रांसपोर्ट चार्ज के रूप में मात्र 100 रुपए देने की बात कही गयी है.

इस पूरे मामले को लेकर आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रदीप सिंह बताते हैं कि जांच की नई दर को लेकर सरकार को विचार करने की जरूरत है. कई ऐसे जांच घर हैं जो उच्च क्वालिटी की जांच करते हैं वैसे जांच घरों के संचालकों को काफी नुकसान हो रहा है. वहीं निजी जांच घर में काम करने वाले कर्मचारी अविनाश कुमार बताते हैं कि जांच दर काफी कम है निजी जांच घर के संचालकों को इससे काफी नुकसान हो रहा है. हालांकि आम लोग नई जांच दर को लेकर संतुष्ट हैं. उनका कहना है अगर इस रेट में जांच हो तो लोगों को पैसा कम लगेगा लेकिन जांच की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए. इसके अलावा कई लोगों ने जांच की बेहतर गुणवत्ता के लिए जांच दरों में बढ़ोतरी का भी समर्थन किया है.

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पूरे मामले पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि कई बार शिकायतें मिल रही थी कि कई संचालकों के द्वारा दूसरी लहर के दौरान जांच के नाम पर उगाही की जा रही थी. वैसी स्थिति को देखते हुए आईसीएमआर की नई गाइडलाइन के अनुसार झारखंड में कोरोना जांच दरों को कम किया गया है. इसके बावजूद भी निजी जांच घर की परेशानियों को देखते हुए वो अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय से भी बात करेंगे.

Last Updated : Jan 28, 2022, 7:44 PM IST

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