रांचीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की पहचान मृदुभाषी, मिलनसार, दयावान, क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति के पैरोकार के रूप में होती है. वह अपने मीठे शब्दों से बड़ी-बड़ी बातें कह जाती हैं. वह देश की पहली महिला राष्ट्रपति हैं जो आदिवासी समाज से आई हैं. उनके व्यक्तित्व और संघर्ष को लेकर चर्चा करेंगे तो शब्द कम पड़ जाएंगे. देश के शीर्ष पद पर आसीन होने के बाद भी उनके व्यवहार में रत्ती भर बदलाव नहीं दिखा. इस बात को कोई समझे या ना समझे लेकिन झारखंड के लोग बखूबी समझते हैं. क्योंकि वह बतौर राज्यपाल झारखंड में छह साल सेवा दे चुकी हैं. वह न सिर्फ झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रह चुकी हैं बल्कि देश के किसी भी राज्य की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं.
कांजीवरम साड़ी है बेहद पसंदःओडिशा के एक छोटे से गांव से देश के शीर्ष पद पर आसीन होने के सफर में उन्होंने भारतीय संस्कृति को कभी भी खुद से दूर होने नहीं दिया. उसको हमेशा संजोए रखा. इसकी झलक उनके पहनावे में दिखती है. उनको कांजीवरम की सिल्क की साड़ी बेहद पसंद है. उनके तीन दिवसीय झारखंड दौरे के क्रम में कांजीवरम साड़ी के प्रति उनके लगाव की झलक देखने को मिली.
24 मई को जब बाबानगरी में पहुंची तो उन्होंने गुलाबी रंग की कांजीवरम साड़ी पहन रखी थी. पूजा के बाद रांची लौटकर भगवान बिरसा मुंडा और परमवीर अलबर्ट एक्का की प्रतिमा पर माल्यार्पण के दौरान उसी गुलाबी रंग की कांजीवरम साड़ी में नजर आईं. इस दौरान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए सफेद कुर्ता पायजामा पहनकर पहुंचे थे.
24 मई की शाम जब देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट भवन का उद्घाटन करने धुर्वा पहुंचीं तो उन्होंने क्रीम कलर की हरे पाड़ वाली साड़ी पहन रखी थी. उनके इस पहनावे में झारखंडी संस्कृति झलक रही थी. इस कार्यक्रम में भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री कुर्ता पहने हुए थे.