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कोरोना की तीसरी लहर से मासूमों को बचाने की विशेष ट्रेनिंग, जानिए राजधानी के अस्पतालों की क्या है तैयारी - रांची सदर अस्पताल के इंचार्ज

झारखंड में कोरोना की तीसरी लहर(third wave) को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग(health department) की तरफ से व्यापक तैयारी की जा रही है. बच्चों के लिए रिम्स, सदर अस्पताल(sadar hospital) और कई निजी अस्पतालों में विशेष इंतजाम किए गए हैं.

preparation to save children from third wave in ranchi hospitals
कोरोना की तीसरी लहर से मासूमों को बचाने की विशेष ट्रेनिंग, जानिए राजधानी के अस्पतालों की क्या है तैयारी?

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Published : Jul 6, 2021, 8:31 PM IST

रांची:बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए रिम्स सदर अस्पताल और कई निजी अस्पतालों में विशेष इंतजाम किए गए हैं. सदर अस्पताल में बच्चों के लिए 60 बेड तैयार कर लिए गए हैं और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बेड के भी इंतजाम किए गए हैं. रिम्स की बात करें तो कुल 200 बेड का इंतजाम किया गया है, जिसमें 90 बेड आईसीयू के हैं, तो वहीं 100 बेड ऑक्सीजन सपोर्टेड बनाए गए हैं.

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कई निजी अस्पतालों में विशेष इंतजाम


सदर अस्पताल के इंचार्ज और उपाधीक्षक डॉक्टर एस मंडल बताते हैं कि बच्चों को देखते हुए सदर अस्पताल में बेहतर इंतजाम किए गए हैं. इसको लेकर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. 60 बेड के लिए 8 डॉक्टर और 28 नर्सिंग स्टाफ को ट्रैंड किया जा रहा है, जिसकी ट्रेनिंग रानी चिल्ड्रन अस्पताल(Rani Children's Hospital) में की जा रही है. रिम्स में 30 चिकित्सक और 70 नर्सिंग स्टाफ को पीडियाट्रिक वार्ड(pediatric ward) में ट्रेनिंग दी जा रही है. अगर बच्चे संक्रमित होते हैं, तो उन्हें किस प्रकार से कोविड वार्ड में रखकर इलाज किया जा सके.

कोरोना की तीसरी लहर से मासूमों को बचाने की विशेष ट्रेनिंग


रिम्स अस्पताल के वरिष्ठ चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर(Senior Child Specialist Doctor) एच बिरवा बताते हैं कि बच्चे को अभी तक टीका नहीं लगा है, जिस वजह से बच्चों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं उन्होंने बच्चों के अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा अभिभावक टीका लें. ऐसे में संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा. सदर अस्पताल में बच्चों के मन को लुभाने के लिए खिलौने, पेंटिंग और झूलों का भी व्यापक इंतजाम किया गया है. ऐसा इसलिए कि बच्चे इलाज के दौरान बोर ना हों और इलाज करने वाले चिकित्सकों को ज्यादा तंग ना कर सके.


गौरतलब है कि राजधानी के रानी चिल्ड्रन में भी बच्चों के लिए अतिरिक्त बेड का इंतजाम किया गया है. अगर सरकारी अस्पतालों में संक्रमित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, तो विशेष परिस्थिति में बच्चों को निजी अस्पतालों में भर्ती किया जा सके.

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