रांची:झारखंड प्रदेश में कई खिलाड़ियों ने खेल जगत में अपना नाम रोशन किया है, इसलिए झारखंड को खिलाड़ियों का प्रदेश कहा जाता है. झारखंड में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपने बेहतर प्रदर्शन के बल पर देश और दुनिया में शोहरत और दौलत कमा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं, जिनमें बेहतर हुनर तो है, लेकिन वह आज दर-दर भटकने को मजबूर हैं. ऐसी ही खिलाड़ियों में रांची की पावरलिफ्टर हेमा कुमारी का नाम शामिल है.
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हेमा वर्ल्ड पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड का नाम रोशन कर चुकी हैं. झारखंड की तरफ से पावरलिफ्टर के रूप में हेमा कई प्रतियोगिता में शामिल हुई हैं. हेमा को 60 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडलिस्ट का खिताब मिल चुका है. अपने पावरलिफ्टिंग में बेहतर प्रदर्शन के बल पर वह स्ट्रांगेस्ट वुमन ऑफ झारखंड की भी उपाधि ले चुकी हैं, लेकिन इन सब के बावजूद हेमा आज सरकारी नौकरी पाने और परिवार की मदद करने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
हेमा ने दी जानकारी: हेमा अपने माता-पिता और भाई के साथ धुर्वा के सरकारी क्वार्टर में रहती हैं. हेमा बताती हैं कि वह देश और दुनिया में नाम कमाना चाहती हैं. इसके लिए अगर उन्हें सरकारी स्तर पर मदद मिले तो वह और भी बेहतर कर सकती हैं. उनके खून में पावरलिफ्टिंग के क्षेत्र में चैंपियन बनने का धुन सवार है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें संसाधन नहीं मिल पा रहे हैं. उनकी मां और पिता दिन रात मेहनत करके उनके लिए संसाधन जुटाने में लगे हैं, जो काफी नहीं है क्योंकि एक पावरलिफ्टर को ज्यादा पौष्टिक खाने की आवश्यकता होती है. इसके अलावा भी कई ऐसे सामान होते हैं, जो पावरलिफ्टर के लिए जरूरी है, लेकिन पैसे की कमी की वजह से उन सामानों को खरीदना मुश्किल हो रहा है.
क्या कहती हैं हेमा की मां: हेमा की मां गीता देवी बताती हैं कि वह अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही हैं, लेकिन उनकी बेटी में विशेष प्रतिभा है जो उसने कई प्रतियोगिता में साबित भी किया है. गीता देवी बताती हैं कि अपनी बेटी की विशेष प्रतिभा को निखारने के लिए उसे और भी संसाधन और सुविधा मुहैया कराये जाने की जरूरत है. अगर उसे सभी संसाधन उपलब्ध करा दिया जाए तो वह सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रौशन करेगी, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वह परिवार की मदद के लिये नौकरी ढूंढने को मजबूर है. पावरलिफ्टर हेमा की मां बताती हैं कि कई बार वह अपनी बेटी को सरकारी मदद दिलाने के लिए खेल विभाग और अन्य पदाधिकारियों के दरवाजे पर भी गई थी, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी.
पार्किंग टिकट काटते हैं हेमा के पिता: पावरलिफ्टर हेमा के पिता एयरपोर्ट पर पार्किंग का टिकट काटने का काम करते हैं. गरीबी होने के बावजूद भी वह अपनी बेटी को अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाने के लिए हर सुविधा मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन महंगे किट्स और पावरफुल डाइट के अत्यधिक दाम होने की वजह से वे बेटी को उस अनुरूप सुविधा नहीं दे पा रहे हैं. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि यदि सरकारी स्तर पर उन्हें किट्स और डाइट की सुविधा दे दी जाये तो वह समाज में भी अपनी बेटी की सफलता पर गर्व कर सकते हैं. उनका कहना है कि हुनर होने के बावजूद उनकी बेटी को अच्छा प्लेटफार्म नहीं मिल पा रहा है.
मेहनत के अनुसार नहीं मिलता परिणाम: हेमा का छोटा भाई अमन बताता है कि उनकी बहन सुबह शाम पावर लिफ्टिंग करती हैं, लेकिन जितना वह मेहनत कर रही हैं. उस अनुसार परिणाम नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में जरूरत है कि उनकी बहन के हुनर को निखारने के लिए खेल विभाग और राज्य सरकार सहायता प्रदान करें, जिससे वह आने वाले समय में विश्व स्तर पर भारत और झारखंड का नाम और ऊंचा कर सकें.
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही हैं हेमा: वर्तमान में हेमा नेपाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पावरलिफ्टिंग में भाग लेने जा रही है. हेमा और उसके परिवार को उम्मीद है कि नेपाल में होने वाले प्रतियोगिता में हेमा एक बार फिर से भारत का नाम रोशन करेंगी. बता दें कि हेमा मूल रूप से बिहार के गया जिले की रहने वाली हैं, लेकिन वह बचपन से ही झारखंड में ही रही हैं और पावरलिफ्टर के रूप में झारखंड के लिए कई खिताबें जीत चुकी हैं.
खेल निदेशक ने क्या कहा: जब पॉवरलिफ्टर हेमा की समस्या को लेकर खेल निदेशक सरोजनी लकड़ा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से अगर वह बेहतर खेल प्रदर्शन कर रही है तो पावरलिफ्टिंग फेडरेशन से बात कर जल्द से जल्द हेमा कुमारी को आवश्यकता अनुसार संसाधन उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी. वहीं उन्होंने कहा कि यदि हेमा बेहतर प्रदर्शन कर रही है तो साल 2024 में पेरिस में होने वाले ओलंपिक प्रतियोगिता के लिए भी उसे तैयार किया जाएगा.