रांची: झारखंड में बीजेपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए खाद की कालाबजारी (manure black marketing) होने का आरोप लगाया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कृषि मंत्री और कृषि सचिव पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्य सरकार केंद्र से खाद मांगने में विफल रही है. जिसके कारण खाद की आर्टिफिशियल किल्लत बताकर कालाबाजारी की जा रही है. किसान परेशान हैं और बिचौलिया मालामाल है.
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राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए दीपक प्रकाश ने कहा कि इसके लिए कृषि विभाग दोषी है. इधर, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सफाई देते हुए कहा है कि राज्य सरकार किसानों को समय पर खाद बीज उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है. हालत ये है कि 45 किलो के यूरिया का एक बैग 266.50 रुपए के बजाए 400 रुपए तक मिल रहा है. वहीं, खुदरा में 10 रुपए प्रति किलो तक यूरिया मिल रहा है. डीएपी खाद की बात करें, तो सब्सिडी मूल्य 1200 रुपए प्रति बैग है जो 1800 रुपए तक मिल रहा है.
खाद के बढ़े दाम पर राजनीति शुरू
यूरिया को लेकर राजनीति शुरू
खाद के बढ़े दामों पर अब राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए खाद की कालाबजारी का आरोप लगाया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश (BJP State President Deepak Prakash) ने कृषि मंत्री और कृषि सचिव पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्य सरकार केंद्र से मांगने में विफल रही है, जिसके कारण खाद की आर्टिफिशियल किल्लत बताकर कालाबजारी हो रही है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि विभागीय अधिकारी और राज्य के मुख्य सचिव लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में हैं और पत्राचार भी किया है. लेकिन कोरोना के चलते खाद की सप्लाई करने वाली कोलकाता की कंपनी मैट्रिक्स के हाथ खड़ा करने के चलते जितनी आपूर्ति होनी चाहिए, वो नहीं हो रही है. बादल पत्रलेख ने राज्य में इस बार रिकॉर्ड अच्छा होने का दावा करते हुए कहा कि सरकार किसानों को कोई परेशानी नहीं होने देगी.
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सप्लाई कम होने से बढ़ने लगे खाद के दाम
राज्य सरकार ने केंद्र से 2.5 लाख मैट्रिक टन यूरिया, 1.10 लाख टन डीएपी और 50 हजार मेट्रिक टन एनपीके की मांग की थी, जिसके एवज में सरकार ने 1.70 लाख मैट्रिक टन यूरिया, 75 हजार टन डीएपी और 30 हजार टन एनपीके का एप्रूवल दिया था. इसके बाद जिस कंपनी को झारखंड में यूरिया सप्लाई का जिम्मा दिया गया, वो बंगाल की मैट्रिक्स कंपनी ने कोरोना के चलते ऋण उत्पादन नहीं होने का कारण बताते हुए हाथ खड़े कर लिए. ऐसे में जो कुछ भी डीपो में यूरिया उपलब्ध है, उसकी बिचौलिया के माध्यम से कालाबाजारी की जा रही है.