झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

राजभवन से डोमिसाइल बिल वापस होते ही राजनीति शुरू, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच छिड़ी जुबानी जंग

राज्यपाल रमेश बैस की ओर से 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को वापस करने के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है.

domicile bill was withdrawn from Raj Bhavan
राजभवन से डोमिसाइल बिल वापस

By

Published : Jan 30, 2023, 2:23 PM IST

रांचीःराजभवन द्वारा 1932 खतियान आधारित स्थानीयता संबंधी विधेयक वापस किए जाने के बाद सियासत गरमा गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच फिर से डोमिसाइल के मुद्दे पर जुबानी जंग शुरू हो गई है. रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह ने राज्यपाल द्वारा टिप्पणी के साथ विधेयक को वापस लौटाए जाने को सही बताया है. वहीं, मुख्यमंत्री का मंशा साफ है. विधेयक के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को मुकम्मल जवाब दिया जाएगा.

यह भी पढ़ेंःJharkhand Politics: 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल को वापस लौटाने पर गरमाई राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप शुरू

विधायक सीपी सिहं ने कहा कि जिस तरह से आनन फानन में इस बिल को विधानसभा से पास कराया गया, उससे साफ लग रहा था कि सरकार को इतनी जल्दबाजी क्यों है. राज्यपाल की आपत्तियों को सरकार निराकरण कर फिर से राजभवन को भेजे. इसपर किसी को कोई आपत्ति नहीं है. वहीं जेएमएम के राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मंशा साफ है. उन्होंने कहा कि झारखंड के मूलवासियों को अधिकार मिले. इसको लेकर यह डोमिसाइल नीति बनाई गई है. राजभवन से बिल को लौटाया गया है. लेकिन इस विषय पर सरकार विचार विमर्श कर मुकम्मल जवाब देंगी.

राज्यपाल रमेश बैस द्वारा झारखण्ड विधान सभा से पारित ‘झारखण्ड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक- 2022 की पुनर्समीक्षा के लिए राज्य सरकार को वापस कर दिया है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करें. यह संविधान के अनुरूप और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों और निदेशों के अनुरूप होना चाहिए.

गौरतलब है कि राज्यपाल के अनुमोदन और राष्ट्रपति की सहमति के लिए प्रेषित करने का अनुरोध राज्य सरकार द्वारा भेजा गया था. इस अधिनयम के अनुसार स्थानीय व्यक्ति का अर्थ झारखंड का अधिवास (डोमिसाइल) होगा, जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमा के भीतर रहता है और उसका या उसके पूर्वज का नाम 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण या खतियान में दर्ज है. इसमें उल्लेख है कि इस अधिनियम के तहत पहचाने गए स्थानीय व्यक्ति ही राज्य के वर्ग-3 और 4 के विरुद्ध नियुक्ति के लिए पात्र होंगे.

इस विधेयक की समीक्षा के दौरान राज्यपाल ने पाया गया है कि संविधान की धारा 16 में सभी नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है. संविधान की धारा- 16(3) के अनुसार मात्र संसद को यह शक्तियां प्रदत्त हैं कि वे विशेष प्रावधान के तहत धारा 35 (A) के तहत नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तें लगाने का अधिकार अधिरोपित कर सकते हैं. राज्य विधानमंडल को यह शक्ति प्राप्त नहीं है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details