रांची:2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सभी राजनीति दल जुट गए हैं. राजनीतिक दलों के नेता भी अपनी तैयारी में जुट गए हैं. उनमें सांसद बनकर दिल्ली की राजनीति करने की इच्छा हिचकोले मारने लगी है. झारखंड कांग्रेस का भी कुछ यही हाल है. पार्टी के कई विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसद के साथ-साथ जिलाध्यक्ष और अलग-अलग विभागों के अध्यक्ष ऐसे हैं, जिन्होंने प्रदेश नेतृत्व से मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है.
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झारखंड में लोकसभा की सिर्फ 14 सीटें हैं. उसमें से सहयोगी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल के साथ टिकटों का बंटवारा भी होना है. इससे यहां कांग्रेस कोटे की सीट भी काफी कम ही होगी. ऐसे में कांग्रेस ने नेताओं के परफॉर्मेंस को टिकट बंटवारे का आधार तय किया है. प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने साफ कर दिया है कि टिकट वितरण में उन्हें ही प्राथमिकता दी जायेगी, जिन नेता और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के कार्यक्रमों और राहुल गांधी की विचारधारा को जनता तक पहुंचाने में जी तोड़ मेहनत की है.
पार्टी कार्यक्रमों में भागीदारी भी होगा एक पैमाना:झारखंड प्रदेश कांग्रेस के महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय और राज्य स्तर पर जितने कार्यक्रम किये गए, उसमें कांग्रेस के नेताओं की भागीदारी कितनी रही, इसका भी आकलन किया जाएगा. राकेश सिन्हा ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा की बात, आम आदमी के साथ, प्रखंड स्तरीय जनसंवाद यात्रा, कांग्रेस ऑनलाइन-ऑफलाइन सदस्यता अभियान, महंगाई-बेरोजगारी, हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के बाद हुए कांग्रेस के धरना प्रदर्शन में किस नेता ने कितना योगदान दिया, इसका भी आकलन किया जाएगा. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने इशारों इशारों में कहा कि प्रखंड स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के सभी नेताओं की पार्टी कार्यक्रमों में भागीदारी का आकलन किया जा रहा है. सबका रिकॉर्ड प्रदेश कांग्रेस के पास है.
37 नेताओं ने जताई चुनाव लड़ने की इच्छा: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने महागठबंधन के तहत सात लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. झामुमो ने चार, झाविमो ने 02 और राजद ने 02 (एक पर फ्रेंडली फाइट) पर उम्मीदवार उतारे थे. अभी जो जानकारी मिली है उसके अनुसार झारखंड कांग्रेस के 37 से अधिक नेताओं ने लोकसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा से प्रदेश नेतृत्व को अवगत करा दिया है. इनमें कई वर्तमान विधायक और सांसद के अलावा पूर्व विधायक, सांसद और कई जिलाध्यक्ष शामिल हैं. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस ने टिकट पाने का एक पैमाना तय कर दिया है. अब देखना होगा कि इस कसौटी पर खड़ा उतरने वाले ही टिकट पाने के योग्य समझे जाते हैं या फिर विनिंग फैक्टर सब पर हावी हो जाता है.