रांचीः प्रदेश के सियासी गलियारों में एक और मुद्दे की गूंज सुनाई देने लगी है. आज झारखंड में बेरोजगारी भत्ते को लेकर हलचल (Politics over unemployment allowance in Jharkhand) है. झारखंड में नियुक्ति और बेरोजगारी भत्ता देने का चुनावी वादा प्रदेश के युवाओं से किया गया था. अपने एक हजार दिन पूरे कर चुकी हेमंत सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. विपक्ष इसको लेकर मुखर हैं, वहीं मंत्री और पार्टी के नेता उपलब्धियां गिनाने से नहीं थक रहे हैं.
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बेरोजगारी भत्ता को लेकर ये सवाल आज जोरशोर से उठ रहा है. क्योंकि दिसंबर 2019 से चल रही सीएम हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार के सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को निश्चय पत्र का नाम देते हुए, इसकी सूची में सबसे पहले युवाओं को अधिकार देने की बात कही थी. जिसमें कहा गया था कि राज्य के बीए-एमए (स्नातक और स्नातकोत्तर) युवाओं को नौकरी मिलेगी. लेकिन जबतक नौकरी या रोजगार नहीं मिलता तब तक स्नातक पास को 5000 और स्नातकोत्तर को 7000 रुपया बेरोजगारी भत्ता (JMM promise to give unemployment allowance) के रूप में दिया जाएगा. लेकिन 30 विधायक वाली राज्य की सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहते हैं कि हम बेरोजगारी से आगे की सोच रहे हैं. युवाओं को रोजगार से जोड़ने और खाली पदों को भर कर बेरोजगारी दूर करने का, इसके लिए आसान शर्तो पर ऋण की व्यवस्था की जा रही है.
बेरोजगारी भत्ता पर क्या कहते हैं वित्त मंत्रीः राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव को ईटीवी भारत ने चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगारों को भत्ता की चुनावी वादे की याद दिलाई. इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि बेरोजगारों की संख्या काफी ज्यादा है, किसको किसको बेरोजगारी भत्ता दें? आगे वो कहते हैं कि बेरोजगार डॉक्टर को दें, बेरोजगार इंजीनियर को दें, बेरोजगार वकील को दें, बीए-एमए पास को दें, किस-किस को बेरोजगारी भत्ता दें. उन्होंने कहा कि इससे अच्छा सरकार ने फैसला किया है कि सभी को रोजगार के लिए साधन उपलब्ध कराया जाए और ज्यादा से ज्यादा नौकरी के लिए प्रकिया शुरू की जाए.
बेरोजगारी रहेगी तब तो बेरोजगारी भत्ते की बात होगी- झामुमोः राज्य के वित्त मंत्री कहते हैं कि बेरोजगारों की संख्या काफी ज्यादा है. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य सरकार की योजनाएं गिनाते हुए कहते हैं कि हमारी सरकार ने 22 वर्षो के झारखंड में पहली बार बड़े पैमाने पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की है. सर्वजन पेंशन, असाध्य रोग के इलाज के लिए मिलने वाली राशि मे बढ़ोतरी सहित कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की है. सुप्रियो कहते हैं कि हम अपनी घोषणा पत्र को गंभीरता से पूरा कर रहे हैं, बेरोजगारी भत्ता को लेकर पूछे सवाल पर बहुत हल्के ढंग से झामुमो नेता ने कहा कि जब बेरोजगार होंगे तब तो बेरोजगारी भत्ता की बात होगी.
बीजेपी का हेमंत सरकार पर निशानाः 2019 में राज्य की जनता को सुनहरे सपने दिखाकर सत्ता में आया महागठबंधन ने बेरोजगारों के साथ छल किया है. ये कहना है प्रदेश के विपक्षी दल भाजपा का. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह ने कहा कि इस सरकार की कथनी और करनी में अंतर उजागर हो गया है. उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कर सत्ता में आई झामुमो-कांग्रेस और राजद की सरकार पर जनता के विश्वास के साथ धोखा करने का आरोप लगाया.
पूरी नहीं हो पायी बेरोजगारी भत्ता देने की कवायदः जेएमएम के चुनावी घोषणा पत्र में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया गया था. 2021 में हेमंत सरकार के द्वारा इसके लिए एक कोशिश भी की गई थी. लेकिन उसमें काफी शर्तें रखी थी- जैसे तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित युवक होना चाहिए, 5000 महीना नहीं बल्कि सालाना की बात थी. इसके लिए तब श्रम मंत्री ने इसके लिए 123 करोड़ 20 लाख 37 हजार का बजट रखने की बात कही थी. लेकिन इतनी कवायदों के बाद भी उसे धरातल पर नहीं उतरा गया लेकिन अब मुखिया के द्वारा अब बात बेरोजगारी भत्ते से आगे की हो रही है.