रांचीः काम की धीमी रफ्तार है, साल 2024 तक झारखंड में हर घर तक नल से जल कैसे पहुंचेगा? सवाल बड़ा है, पर उससे बड़ी चुनौती है कि इतने कम वक्त में हर घर नल से जल कैसे पहुंचाया जाए. केंद्र सरकार प्रायोजित नल-जल योजना (central government sponsored Nal-Jal Yojna) झारखंड के शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के लिए चुनौती बन गई है. झारखंड की भौगोलिक बनावट (Geography of Jharkhand) और उसमें बसे लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना सरकार के लिए कठिन काम है.
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केंद्र की इस योजना का लाभ पहुंचाने में जुटा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का मानना है कि धीमी गति की मुख्य वजह पूर्ववर्ती समय में काम का धीमी शुरुआत होना है. जिससे राज्य के लोगों को इस योजना का लाभ मिलने में देरी हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक 58.95 लाख ग्रामीण परिवारों में से अब तक सिर्फ 7.40 लाख के पास ही नल-जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध हो पाई है.
पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर (Drinking Water Minister Mithilesh Thakur) की मानें तो पूर्ववर्ती सरकार के समय सिर्फ 4 लाख 30 हजार घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंचाई थी, मगर हमलोगों ने डेढ वर्षों में ही करीब 4.50 लाख घरों तक पेयजल पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि लक्ष्य के अनुरुप 2024 तक राज्य के सभी घरों में नल के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाने में सफल होंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में घरों तक नल के जरिए जल पहुंचाने में लागत ज्यादा आ रही है, इसके बावजूद राज्य सरकार लक्ष्य पूरा करके साल 2024 तक हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाएगी.
नल-जल योजना की धीमी रफ्तार पर सियासत
पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर की ओर से नल-जल योजना की धीमी रफ्तार के लिए पूर्ववर्ती सरकार को निशाने पर लिया है. मंत्री के दोषारोपण के बाद बीजेपी ने मौजूदा सरकार पर जमकर हमला बोला है. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अमर बाउरी (Former Minister and BJP MLA Amar Bauri) ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि बहाना बनाने से काम नहीं चलेगा. हर बात में सास-बहु की तरह दोष मढ़ने से काम नहीं चलेगा बल्कि काम करने की जरूरत है. राज्य सरकार अपनी कमी छुपाने के लिए केंद्र और बीजेपी सरकार पर ही दोषारोपण करती रही है.