रांचीः झारखंड में कांग्रेस, राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा की महागठबंधन की सरकार अपने कार्यकाल के लगभग आधा समय पूरा करने वाली है. लेकिन अभी तक तीन दलों की सरकार एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और कोआर्डिनेशन कमिटी नहीं बना पाई है. इसको लेकर झारखंड में राजनीति जारी है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है.
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झारखंड कांग्रेस प्रभारी बनने के बाद अविनाश पांडे ने एक महीने के अंदर सीएमपी और कोआर्डिनेशन कमिटी बन जाने की बात कही थी. 25 जनवरी 2022 को तत्कालीन प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो जाने के बाद पार्टी अध्यक्ष ने विकट परिस्थितियों में झारखंड की कमान संगठनकर्ता अविनाश पांडे को सौंप दी गयी. उसके बाद अपने पहले झारखंड दौरे में अविनाश पांडे ने राज्य में बेहतर तरीके से सरकार चलाने के लिए कोआर्डिनेशन कमिटी और तीनों दलों के चुनावी घोषणापत्र के आधार पर सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम एक महीने में बनाने की बात कही थी.
गठबंधन की सरकार पर भाजपा का तंजः कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी द्वारा जल्द से जल्द कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और कोआर्डिनेशन कमिटी बनाने की घोषणा के बावजूद अभी तक मुख्यमंत्री और झामुमो की ओर से कोई सार्थक कदम नहीं उठाने पर बीजेप ने तंज कसा है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि इस सरकार में कॉमन नहीं बल्कि व्यक्तिगत एजेंडा हावी है. वहीं प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि जब इंसान का व्यक्तिगत एजेंडा की हावी रहे तो कॉमन एजेंडे की बात बेमानी है. यही वजह है कि कांग्रेस के प्रभारी के कई बार कहने के बाद भी मुख्यमंत्री इस पर चर्चा को तैयार नहीं हैं.