रांची: झारखंड में पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी सामान्य से काफी कम हुई वर्षा से कृषि प्रभावित हुआ है. कई जिलों में धान की रोपनी काफी कम हुई है तो अन्य खरीफ फसलों के आच्छादन का भी यही है. राज्य के कई जिलों में लंपी स्किन डिजीज जैसा वायरल बीमारी को लेकर पशुपालक सहमे हुए हैं. ऐसी परिस्थिति में जब झारखंड में कृषि निदेशक और पशुपालन निदेशक का पद एक दो नहीं बल्कि 27 दिनों से खाली रहे तो इसका प्रतिकूल असर विभागीय कार्यों पर पड़ना स्वभाविक है.
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25 जुलाई 2023 को हुए आईएएस अधिकारियों के तबादले के साथ राज्य कृषि निदेशालय और राज्य पशुपालन निदेशालय में निदेशक के पद रिक्त हो गए. यहां के आईएएस निदेशक को डीसी बना दिया गया. लेकिन किसी अन्य अधिकारी को कृषि और पशुपालन निदेशक नहीं बनाया गया. अब भारतीय जनता पार्टी इसे राज्य के पशुपालकों और अन्नदाताओं के प्रति सरकार की उपेक्षा का उदाहरण बता रही है.
झारखंड प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक कहते हैं कि पहले तो कम से कम ये लोग अन्नदाताओं और पशुपालकों की बात भी करते थे लेकिन अब तो बात करना भी छोड़ दिया है. सुखाड़ और पशुओं में हो रही मौसमी बीमारियों के समय में जब अधिक जरूरत कृषि निदेशक और पशुपालन निदेशक की होती है, तब 25-27 दिनों से दोनों महत्वपूर्ण पद खाली पड़ा हुआ है और सरकार निश्चिंत भाव से बैठी है.
कांग्रेस का पलटवारः जब कृषि निदेशक ने पिछले वर्ष सुखाड़ की सभी रिपोर्ट देकर मदद मांगी तो क्यों केंद्र ने मदद नहीं की, यह भी सवाल है. ये कहना है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर का. राज्य में कृषि निदेशक और पशुपालन निदेशक का पद पिछले 27 दिनों से खाली रहने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा उठाए जा रहे सवालों के जवाब में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने जवाब दिया है. सरकार में कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्य और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर कहते हैं कि जब पिछले वर्ष राज्य में भयंकर सूखा पड़ा था. तब राज्य में कृषि निदेशक भी थे है और पशुपालन निदेशक भी. उस समय सुखाड़ की पूरी रिपोर्ट राज्य की सरकार ने बनाकर केंद्र को भेजा था. तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राज्य के अन्नदाताओं को सुखाड़ राहत की राशि क्यों नहीं दी यह सवाल भी है.
कृषि निदेशक की जिम्मेदारी कृषि विभाग के निदेशक का पद क्यों है महत्वपूर्णः झारखंड में खरीफ फसल ही महत्वपूर्ण है. कम वर्षा की वजह से सुखाड़ की स्थिति में ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करने में निदेशक की अहम भूमिका होती है. अक्टूबर से पहले केंद्र को सुखाड़ की धरातल पर स्थिति की रिपोर्ट भेजना होता है. भारत सरकार से कृषि योजनाओं की राशि इन्हीं महीनों में मिलती है, ऐसे में कृषि निदेशालय का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है. अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष की योजनाओं को धरातल पर उतारने में भी कृषि निदेशक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वित्तीय अधिकार कृषि निदेशक को ही होता है, ऐसे में कई कार्य बाधित हैं.
पशुपालन निदेशक नहीं रहने से भी बढ़ी परेशानीः इसी तरह राज्य में वर्तमान समय में पशुपालन निदेशक का होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि अभी राज्य के कई जिलों से पशुओं में लंपी स्किन डिजीज, खुरहा मुंहचिपका और अन्य वायरल बीमारी बढ़ने की सूचना मिल रही है. ऐसे में योजनाओं का क्रियान्वयन, दवा और वैक्सीन खरीद सहित कई कार्य पशुपालन निदेशक के नहीं रहने से पेंडिंग पड़ना स्वभाविक है.