रांची:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी यूपीए सरकार एक बार फिर नई औद्योगिक नीति बनाकर निवेशकों को आकर्षित करने में इन दिनों जुटी है. दिल्ली में आयोजित इन्वेस्टर समिट में उद्योगपतियों का झारखंड में निवेश करने के लिए रुचि दिखाया जाना शुभ संकेत माना जा सकता है. मगर जमीनी स्तर पर सिस्टम को सुधारे बगैर इसकी कल्पना करना जल्दबाजी होगी.
जमीन विवाद और प्रशासनिक असहयोग है बड़ी बाधा
राज्य गठन के शुरुआती दिनों में सड़क, बिजली, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं पर विशेष बल दिया गया बाद में राज्य में तेजी से विकास करने के लिए सरकार निवेशकों को आकर्षित करने में जुट गई. यहां की प्राकृतिक संसाधन के प्रति इन्वेस्टर्स भी आकर्षित हुए. जिस गति से एक के बाद एक एमओयू पर हस्ताक्षर होते गए उससे लगा कि राज्य में रोजगार के अवसर के साथ-साथ औद्योगिकीकरण में तेजी आएगी. मगर ऐसा हो नहीं सका. इसके पीछे का मुख्य कारण जमीन विवाद और सरकार की प्रशासनिक असहयोग रहा है.
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राज्य में सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए उद्योगपतियों को इंडस्ट्री लगाने में सहुलियत होती थी आज वह भी पूरी तरह से इफेक्टिव नहीं है. एक उद्योग लगाने के लिए लाइसेंस और एनओसी लेने में उद्योगपतियों को महीनों विभिन्न विभागों का चक्कर लगाना पड़ता है जो एक बड़ी बाधा है. इसी तरह से आवंटित सरकारी जमीन या निजी जमीन खरीद के बाद उसपर इंडस्ट्री लगाने में विवाद जगजाहिर है.
एक बार शुरू हुई राजनीति
नई औद्योगिक नीति के जरिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दिल्ली में आयोजित समिट पर राजनीति शुरू हो गई है. विपक्षी दल बीजेपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि निवेशकों को आकर्षित करना केवल आईवास है. पूर्व मंत्री और रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि यदि ऐसा हो गया तो मैं खुद इसका स्वागत करुंगा. मगर जो इतिहास रहा है उसमें यहां निवेशकों का आना बेहद ही मुश्किल है.
इधर, सत्तारूढ़ दल झामुमो कांग्रेस ने पिछली सरकार के मोंमेंटम झारखंड का स्मरण कराते हुए कहा है कि यह सरकार हाथी नहीं उड़ा रही है बल्कि जमीन पर उद्योग लगे इस विश्वास के साथ काम करने में जुटी है. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति लोगों का विश्वास है और वे झारखंड में विकास की एक नई गाथा लिखेंगे. वहीं, कांग्रेस नेता कामेश्वर गिरी ने विश्वास जताते हुए कहा कि वर्तमान सरकार निवेशकों को लाने में जरूर सफल होगी.
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निवेशकों का विश्वास जीते वगैर किसी भी राज्य में विकास की बात सोचना दिन में सपना देखने जैसा है. कुछ ऐसा ही झारखंड के साथ है जहां सबकुछ रहते हुए भी समुचित माहौल का अभाव और बार बार उद्योग नीति में बदलाव से परेशान इन्वेस्टर यहां निवेश करने से कतराने लगे हैं. ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि पिछली गलतियों से सबक लेते हुए सरकार अपनी सिस्टम को पहले दूरुस्त करें.