रांची:झारखंड के कद्दावर नेता रहे योगेंद्र साव को बड़कागांव गोलीकांड में उनकी पत्नी के साथ 10 साल की सजा हुई जिसमें कोर्ट ने यह बता दिया कि राजनीति कैसे करनी चाहिए और कौन सी राजनीति कानून के अनुसार गलत है. योगेंद्र साव झारखंड की राजनीति में इतने कद्दावर नेता थे कि जब उनके ऊपर आरोप लगा तो अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा दी और पत्नी चुनाव जीत भी गई. जब योगेंद्र साव और उनकी पत्नी पर मुकदमा दर्ज हो गया तक उन्होंने अपनी बेटी को चुनाव लड़वाया.
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उनकी राजनीतिक पहुंच का अंदाजा आप इसी बात से लगावा सकते हैं कि आज उनकी बेटी भी विधायक हैं. लेकिन इन तमाम चीजों पर कोर्ट के उस हथौड़े की ना आने वाली आवाज की हनक भी जान लीजिए कि उस चाबुक के तहत अब योगेंद्र साव और उनकी पत्नी तक 10 साल के लिए जेल भेज दिए गए हैं. झारखंड की राजनीति में और राजनीति करने वालों के लिए सबक और मिसाल दोनों है यह मार्च महीने के एक सप्ताह की कहानी है.
अब झारखंड के मार्च महीने के दूसरे सप्ताह की कहानी को भी कोर्ट के उस नजरिए से आपके सामने रख दे रहे हैं जो झारखंड की राजनीति और सियासत दोनों के लिए बहुत बड़ा सबक बनने जा रहा है. 28 मार्च 2022 को कोर्ट ने बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति के मामले में 3 साल की सजा और तीन लाख के जुर्माने का आदेश दे दिया. यह मामला निर्दलीय मुख्यमंत्री बने मधु कोड़ा के कार्यकाल का है, जिसमें मधु कोड़ा के पांच रत्न ऐसे थे जिन पर नीतियां बनाने और सरकार चलाने का दारोमदार था.
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मधु कोड़ा तो सीएम की कुर्सी पर सिर्फ एक स्टाम्प पेपर जैसे थे. मधु कोड़ा की सरकार में हरिनारायण राय, भानु प्रताप शाही, एनोस एक्का, बंधु तिर्की और कमलेश सिंह शामिल थे और कमोबेश इसमें से हर कोई कानून के विरुद्ध कार्य करने के किसी न किसी गलती के तहत कोर्ट में या तो विचाराधीन मामले के तहत है या फिर कुछ लोगों को सजा भी हो चुकी है. यह मार्च के दूसरे सप्ताह में कोर्ट द्वारा झारखंड की सियासत में भ्रष्टाचार और राजनैतिक भ्रष्टाचार पर किया गया ऐसा प्रहार है, जो राजनेताओं को यह सोचने के लिए विवश जरूर करेगा कि जनता ने आपको सेवा करने के लिए अपना नुमाइंदा चुना है ना कि राज्य का खजाना लूटने का अधिकार आपको दिया है और जिनके ऊपर जो भी हैं लेकिन यह सही है कि जो भी जनप्रतिनिधि आज कानून के बुलावे पर कोर्ट में पहुंचे हैं, उन्होंने कहीं ना कहीं उस नियम की अनदेखी जरूर की, जो बनाए गए नियम के विरुद्ध है.
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2022 के मार्च का महीना झारखंड की राजनीति के इतिहास में निश्चित तौर पर ऐसे अभिलेख के तौर पर दर्ज होगा जिसे आने वाले राजनेता अगर ठीक से पढ़ लेंगे तो संभवतः राजनीति का ढंग अलग लाइन पर चला जाएगा. क्योंकि पिछले 2 हफ्ते में जिस तरीके का कोर्ट ने आदेश का हथोड़ा चलाया है, वह निश्चित तौर पर राजनीति और राजनेताओं को उस कठघरे में लाकर तो खड़ा ही कर दिया है, जिसमें स्वच्छ साफ सुथरी और भ्रष्टाचार बिन राजनीति की ही जरूरत झारखंड को हैस, देश को है, तभी एक मजबूत देश का आधार खड़ा हो पाएगा और यह एक सबक है. वैसे ही राजनीति के लिए जिन पर कहीं से भी भ्रष्टाचार के आरोप लग जाते हैं बचना उन्हीं राजनेताओं को है जो देश को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए राजनीति में आए हैं, लेकिन आने के बाद राजनैतिक भ्रष्टाचार के कारण जेल जाने की तैयारी कर देते हैं. झारखंड के हर सियासतदां को इस पर विचार करना होगा क्योंकि कोर्ट ने कानून के जिस फरमान को दिया है, वह झारखंड की राजनीति के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता. विचार करने की जरूरत है और होना भी चाहिए.