रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा दिल्ली में आयोजित सामाजिक न्याय महासंघ सम्मेलन को ऑनलाइन शामिल हुए. सम्मेलन को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने देश की मौजूदा राजनीति पर टिप्पणी कर राजनीतिक बहस छेड़ दी है. उन्होंने देश का लोकतंत्र खतरे में होने की बात कहते हुए सामाजिक न्याय के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है. मुख्यमंत्री के इस आह्वान के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गैर भाजपाई दलों को एकजुट करने का प्रयास भी माना जा रहा है.
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सोमवार को हुए इस कॉन्फ्रेंस को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऑनलाइन संबोधन किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में होने के अलावा सामाजिक न्याय के लिए एकजुट होना होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस बयान पर झारखंड में सियासत तेज हो गई है, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सोरेन को सबसे ताकतवर नेता बताते हुए कहा है कि झारखंड में उनके जैसा कोई भी नहीं है. जिस तरह से उनकी लोकप्रियता उनकी बढ़ी है उसका फायदा आने वाले समय में जरूर मिलेगा.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने दावा करते हुए कहा है की 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का एक भी कमल झारखंड में नहीं खिलेगा. वर्तमान समय में जो 12 सीटें भाजपा के पास है वे सभी कमल मुरझा जाएंगे. कांग्रेस ने भी विपक्षी एकता को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आह्वान की सराहना करते हुए कहा है कि स्वार्थ से हटकर सभी गैर भाजपाई दलों को लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होना पड़ेगा.
कांग्रेस प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि इसके लिए सभी दलों को इमानदारी से प्रयास करना होगा, क्योंकि जिस तरह से देश का अभी माहौल बना हुआ है उसमें संविधान और लोकतंत्र बच पाना बेहद ही मुश्किल है. ऐसे में बड़े लक्ष्य को पाने के लिए अपने स्वार्थ से हटकर सभी दलों को आगे आना होगा.
इधर, गैर भाजपाई दलों को एकजुट करने के प्रयास पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह सारी कवायद विदेशी ताकतों के इशारों पर हो रही है. मगर घबराने की बात नहीं है देश की जनता जानती है कि मोदी जी के नेतृत्व में देश का गौरव किस तरह से ऊंचा हुआ है. पूर्व मंत्री और वर्तमान भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि इस तरह की कवायद पहले भी होती रही है और मोदी जी की लोकप्रियता से एक तरफ विपक्ष घबराया हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ इनके बीच राहुल गांधी के प्रकरण सामने आने के बाद यह होड़ मची है कि कहीं इसकी आड़ में कुछ लाभ मिल जाए. मगर देश की जनता जानती है और इनके बीच स्वार्थ की तक टकराहट इस कदर होगी एक बार फिर ये बिखर जाएंगे.