रांची:2024 के चुनावी जंग से पहले गैर भाजपा दलों की एकजुटता के हो रहे प्रयास पर सियासत तेज है. झारखंड की 14 सीटों में से 12 सीटों पर एनडीए का कब्जा है, जिसे तोड़ने के लिए गैरभाजपा दल मिलकर प्रयास करने के पक्षधर हैं. गैर भाजपा दलों को एकजुट कर 2024 के चुनावी जंग को लड़ने की तैयारी कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुहिम क्या रंग लायेगी, यह तो वक्त बतायेगा. मगर, इसे लेकर किए जा रहे प्रयास पर सियासत जरूर तेज हो गई है. बिहार, झारखंड, प.बंगाल, उत्तरप्रदेश और दिल्ली की सीटों को साधने में जुटे नीतीश कुमार पिछले दिनों राहुल गांधी सहित कई नेताओं से मिल चुके हैं. इन पांचों प्रदेश में लोकसभा सीटों पर नजर दौड़ाए तो उत्तर प्रदेश में 80, बिहार में 40, झारखंड में 14, प.बंगाल में 42 और दिल्ली में 07 सीटें हैं. इस तरह से 183 सीटें लोकसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका के रूप में मानी जा रही है. इसी को ध्यान में रखकर झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नीतीश कुमार के प्रतिनिधि के तौर पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो मुलाकात कर चुके हैं.
नीतीश की मुहिम पर झारखंड में सियासत गर्म: झामुमो और कांग्रेस ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पहल की सराहना करते हुए कहा है कि इससे 2024 के चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने में मदद मिलेगी. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि नेता कौन होगा, यह बाद में तय होगा. मगर, केंद्र की भाजपा सरकार को सबक सिखाने के लिए विपक्षी एकता होना आवश्यक है, जिसके पक्षधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी हैं. कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने भी नीतीश कुमार के इस पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि जो देश में माहौल है. वैसी स्थिति में विपक्षी एकता बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए नीतीश कुमार कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात कर चुके हैं और आने वाले समय में इसका फलाफल देखने को मिलेगा.