रांची: बेंगलुरु में देश के 26 विपक्षी दलों ने केंद्र की सरकार के खिलाफ साझा मंच तैयार कर लिया है. इस मंच को 'इंडिया' यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल्स इंक्लूसिव एलायंस नाम दिया गया है. विपक्षी दलों की कोशिश है कि NDA के सामने INDIA को मजबूती और आपसी समन्वय से खड़ा किया जाए. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या INDIA में झारखंड के सिर्फ वहीं तीन दल शामिल रहेंगे जो 2019 के लोकसभा के समय एक साथ थे या फिर इस बार झारखंड में 'इंडिया' का कुनबा बढ़ेगा.
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वर्तमान संदर्भ में यह सवाल इसलिए भी वाजिब है क्योंकि बेंगलुरु में हुई बैठक में जो 26 विपक्षी दल एक साथ बैठे. उनमें सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, जदयू भी शामिल हुए थे. इन दलों का झारखंड में भी अच्छा जनाधार है. ऐसे में क्या 'झारखंड इंडिया' में इन तमाम दलों को भी जगह मिलेगी या राज्य में 2019 का महागठबंधन वाला स्वरूप ही 2024 में NDA के सामने खड़ी इंडिया में दिखेगा?
राज्य में विपक्षी साझा दलों के गठबंधन 'इंडिया' को लेकर झारखंड के अलग-अलग दलों के नेताओं की क्या सोच है, ईटीवी भारत ने यह जानने की कोशिश की. इसके लिए कांग्रेस, झामुमो और सीपीआई के नेताओं को टटोला तो साफ हुआ कि अभी इस मुद्दे पर किसी भी पार्टी ने कोई फैसला नहीं लिया है. लेकिन हर किसी की अपनी एक अलग राय जरूर है.
सहयोगी दलों की होगी सहमति तो बढ़ेगा कुनबा-कांग्रेस: भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन 'इंडिया' बनने के बाद राज्य में विपक्षी दलों के कुनबा बढ़ाने की संभावना पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि राज्य में झारखंड इंडिया में कांग्रेस के अलावा शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो और राजद शामिल है. उन्होंने कहा कि उनकी नजर राज्य के उन छोटे दलों पर है जो INDIA की संख्या 40 कर दें. राजेश ठाकुर ने INDIA का राज्य में कुनबा बढ़ाने को लेकर कहा कि अगर सहयोगी दलों में सहमति बनेगी तो जरूर कुनबा बढ़ेगा.
विनिंग कैपेबिलिटी ही होगी 'इंडिया' में उम्मीदवारी का आधार-झामुमो: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों के साझा प्लेटफॉर्म INDIA को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि अभी तो इसका प्रारंभिक चरण है. उन्होंने कहा कि झारखंड में अगर एनडीए के खिलाफ एक के सामने एक प्रत्याशी खड़ा करना है, तो सबसे जरूरी है जीत की संभावना.
सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि किसी भी प्रत्याशी की जीत और हार के पीछे कई फैक्टर होते हैं. ऐसे में जब भाजपा-आजसू के उम्मीदवार के सामने विपक्ष के एक उम्मीदवार उतारने की बात होगी तो सबसे जरूरी होगा उस उम्मीदवार की जीत की संभावना को देखना. उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि राज्य में वर्तमान सत्तारूढ़ महागठबंधन की 2019 की लोकसभा चुनाव में करारी हार हुई थी, लेकिन यही महागठबंधन विधानसभा चुनाव 2019 का विजेता भी रहा है.
बिना वामदलों के समर्थन लिए भाजपा को हराना मुश्किल-सीपीआई: झारखंड में INDIA का कुनबा बढ़ाने को बेहद जरूरी बताते हुए सीपीआई स्टेट पोलित ब्यूरो के नेता अजय सिंह ने कहा कि राज्य में बिना लेफ्ट को साथ लिए कोई भी दल भाजपा को लोकसभा चुनाव में हराने में सक्षम नहीं है. उन्होंने कहा कि लेफ्ट ही ऐसा दल है जिसका पंचायत से लेकर प्रदेश और देश स्तर पर अपना कैडर वोट है. सीपीआई नेता ने कहा कि अब राज्य में महागठबंधन के दलों को यह देखना है कि कैसे सामंजस्य बैठाकर झारखंड इंडिया को स्वरूप देते हैं, जो भाजपा-आजसू को परास्त कर 14 में 14 लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर सके.
क्यों जरूरी है झारखंड में इंडिया के कुनबे को बढ़ाना:लोकसभा चुनाव 2019 में झारखंड में NDA के सामने चार दलों के महागठबंधन ने चुनाव लड़ा था. इसमें कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल के अलावा बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा भी शामिल थी. तब मजबूत महागठबंधन होने के बावजूद राज्य में उनकी बड़ी हार हुई थी. 14 लोकसभा सीट में से राजमहल सीट पर झामुमो के उम्मीदवार विजय हांसदा और सिंहभूम सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार गीता कोड़ा की जीत हुई थी. बाकी 12 लोकसभा सीट पर NDA (भाजपा-आजसू पार्टी) उम्मीदवार की जीत हुई थी. तब भी वाम मोर्चा ने 06 लोकसभा सीट पर उम्मीदवार खड़ा किया था और उन्हें अच्छा खासा वोट मिला था. अब जब भाजपा के एक उम्मीदवार के सामने विपक्ष की ओर से एक उम्मीदवार को खड़ा करने की बात आगे बढ़ चली है तो यह सवाल बना हुआ है कि जिस इंडिया के भरोसे केंद्र से पीएम मोदी को सत्ता से बाहर करने की योजनाएं बन रही हैं, उसका झारखंड में स्वरूप क्या होगा.