रांचीः झारखंड में हुए 5 चरणों में विधानसभा चुनाव को लेकर एक अजीब तरीके का ट्रेंड देखने को मिल रहा है. झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर हुए चुनाव में प्रत्याशियों की जीत से ज्यादा हार के बारे में जानने को लेकर ज्यादा उत्सुकता नजर आ रही है. दरअसल इस ट्रेंड को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर ऐसी स्थितियां क्यों आ रही है.
इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में दरअसल सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने कुछ ऐसे विधायकों को मौका नहीं दिया, जिसकी वजह से वह बागी हो गए. उनमें से एक सरयू राय ने अपना विधानसभा इलाका छोड़ मुख्यमंत्री रघुवर दास के विधानसभा से नॉमिनेशन कर दिया. उसके बाद से प्रदेश की पॉलिटिक्स में जीत और हार दोनों शब्दों के मायने पर चर्चा शुरू हो गई.
आयातित उम्मीदवार भी हैं एक वजह
दूसरी प्रमुख वजह यह रही कि बीजेपी शासनकाल में एक दर्जन से अधिक सीटों पर वैसे लोगों को टिकट दिया गया जिनके खिलाफ 2014 में पार्टी कैडर ने अपना पसीना बहाया था. उनमें सबसे प्रमुख कांग्रेस और झामुमो के 2-2 विधायक थे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो जिन उम्मीदवारों के खिलाफ 2014 में पार्टी कैडर गोल बंदहुआ और उनके खिलाफ प्रचार में लगा रहा अब उनके नाम का झंडा ढ़ोने में उन्हें असहजता महसूस होने लगी. ऐसे में उन इलाकों के कथित तौर पर उन उम्मीदवारों की हार में अपनी जीत तलाशने लगे. यही वजह भी प्रमुख मानी जा रही है कि अब उम्मीदवारों की जीत के बचाए हार को लेकर ज्यादा चर्चा हो रही है.
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