रांची: फूड-पिज्जा डिलीवरी या इस तरह के काम करने वालों को मिनिमम वेज हासिल हो, इसके लिए झारखंड सरकार पॉलिसी बनाने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार के श्रम विभाग ने इसके लिए कमेटी गठित कर दी है.
झारखंड पहला राज्य है, जिसने स्विगी-जोमैटो-ओला-उबर-रैपिडो जैसी कंपनियों के लिए कांट्रैक्ट या कमीशन पर काम करने वालों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. ऐसी पहल अब तक देश के किसी राज्य की सरकार ने नहीं की है.
राज्य के श्रम विभाग के अंतर्गत झारखंड राज्य न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद की ओर से गठित की गई कमेटी में श्रम आयुक्त संजीव कुमार बेसरा, न्यूनतम वेतन बोर्ड के डायरेक्टर राजेश प्रसाद, झारखंड फेडरेशन ऑफ चैंबर के अध्यक्ष किशोर मंत्री, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय सहित सीटू, बीएमएस और एटक ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है.
कमेटी अध्ययन करेगी कि स्विगी-जोमैटो, ओला-उबर ड्राइवर, गिग वर्कर्स, ऑनलाइन डिलीवरी ब्वॉय किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं. इसी आधार पर इनकी न्यूनतम मजदूरी को लेकर अनुशंसा की जाएगी. अनुमान है कि पूरे झारखंड के विभिन्न जिलों में लगभग 12 लाख लोग ऐसे कामों में लगे हैं.