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मुख्‍यमंत्री आवास का घेराव करने जा रहे राजस्वकर्मीयों को पुलिस ने रोका, प्रदर्शनकारियों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

झारखंड राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ ने अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर पिछले 27 दिनों से हड़ताल पर हैं. मंगलवार को इन्हीं मांगों को लेकर हड़तालित राजस्वकर्मी रांची के मोरहाबादी मैदान से मुख्यमंत्री आवास घेरने निकले, लेकिन पुलिस प्रशासन ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया.

झारखंड राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ

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Published : Oct 1, 2019, 10:30 PM IST

रांची: झारखंड राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ ने अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर मंगलवार को जुलूस निकाला. राजस्व उप निरीक्षक संघ मोरहाबादी मैदान से मुख्‍यमंत्री आवास का घेराव करने जा रहे थे. लेकिन पुलिस ने उन्‍हें बीच रास्ते में ही रोक दिया.

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झारखंड राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर पिछले 27 दिन से हड़ताल पर हैं. जिसको लेकर मंगलवार को मोरहाबादी मैदान में हड़ताल पर बैठे राजस्व उप निरीक्षक संघ ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले. लेकिन बीच रास्ते में ही पुलिस प्रशासन ने जुलूस को राजभवन के निकट बेरिकैडिंग लगाकर सभी कर्मचारियों को रोक दिया, जिसके बाद राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ के लोगों ने राजभवन के पास ही प्रदर्शन किया.

झारखंड राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ की 9 सूत्री मांगों में प्रमुख रूप से न्यूनतम ग्रेड पे को बढ़ाना, राजस्व प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना, अचल निरीक्षकों की सीधी बहाली पर रोक लगाते हुए 50 फीसदी पदों पर उनकों वरीयता देना और हल्का इकाई का पूर्ण गठन करना शामिल है. इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण मांग मुख्यमंत्री जनसंवाद से राजस्व संबंधी मामलों को अलग रखना भी है.

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पिछले 27 दिनों से हड़ताल पर हैं राजस्वकर्मी

निम्नलिखित मांगों को लेकर राजस्व कर्मी पिछले 27 दिन से हड़ताल पर हैं. झारखंड राज्य राजस्व उप निरीक्षक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि 2018 में भी इन्हीं मांगों को लेकर उप निरीक्षकों ने हड़ताल किया था. उस समय सरकार ने मौखिक रूप से यह आश्वासन दिया था कि 3 महीने के अंदर हमारी सभी मांगों को पूरा कर देगी. लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद हमें मजबूर होकर दूबारा प्रदर्शन करना पड़ रहा है. इस दौरान राजस्वकर्मीयों ने सरकार को चेतावनी भी दी है, कि अगर उनकी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री ने एक हफ्ते के अंदर कोई सकारात्मक फैसला नहीं लेती है तो, वह उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

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