पटना:पुलिस मुख्यालय शराबबंदी में कोताही और भ्रष्टाचार में संलिप्त पुलिस अफसरों को बख्शने के मूड में नहीं दिख रही है. पुलिस मुख्यालय ने जानकारी दी है कि शराबबंदी में कोताही और भ्रष्टाचार में लिप्त 644 पुलिस अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है.
चार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई
यह कार्रवाई जनवरी से नवंबर 2020 के दौरान हुई है. पुलिस मुख्यालय से मिल रही जानकारी के अनुसार 2 आईपीएस अधिकारियों को विभागीय कार्रवाई में वृहद सजा दी गई है और चार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है.
सात अफसरों को कड़ी सजा
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक बिहार पुलिस सेवा के 7 अफसरों को भी कड़ी सजा मिली है. जबकि 25 से खिलाफ विभागीय कार्रवाई जारी है. 606 अराजपत्रित पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है.
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इनमें से 85 अफसरों को सेवा से बर्खास्त, 55 को कड़ा दंड और 4 को लघु दंड दिया गया है. वहीं कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामले विचाराधीन हैं.
जीरो टॉलरेंस की नीति
बता दें बिहार पुलिस अपने पदाधिकारियों और कर्मियों में पेशेवर कुशलता और लापरवाही करते अभियंता और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति बनाए रखना चाहती है. इसको लेकर इस नीति के तहत वर्ष 2020 में नवंबर माह तक मुख्य रूप से मद्य निषेध अधिनियम के क्रियान्वयन में कोताही, बालू आदि के अवैध खनन और परिवहन में संलिप्त भूमि संबंधित मामलों, अन्य भ्रष्टाचार आदि मामलों में 644 पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासननिक कार्रवाई की गई है.
पेंशन में कटौती करने का निर्णय
पुलिस मुख्यालय की मानें तो 48 से पुलिसकर्मियों के ऐसे मामले हैं, जिन पर आरोप की तुलना में पुलिसकर्मियों को कम सजा दी गई थी. उनमें समीक्षा के बाद मुख्यालय की ओर से कड़ी सजा दी गई है.
इनमें से 23 पुलिस अफसरों को सेवा से बर्खास्त और पांच सेवा निर्मित पदाधिकारियों को पेंशन में कटौती करने का निर्णय लिया गया है. यह जो पुलिसकर्मी हैं, वह 2016 में गोपालगंज जिले में जहरीली शराब से हुई मौत से जुड़े मामले में सम्मिलित हैं.