रांची: झारखंड में क्रिसमस की तैयारी अंतिम चरण में है. देर शाम के बाद लोग घरों की सजावट का काम पूरा करते प्रार्थना में शामिल होने के लिए विभिन्न गिरजाघरों में जाएंगे. इसके बाद रात 12 बजे प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाएंगे.
क्रिसमस में ईसाई समुदाय के लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी लाइट्स और विभिन्न फूलों से सजाते हैं. वो अपने घरों में स्टार, संता क्लॉज और छोटे छोटे लाइट्स लगा दिए गए हैं. वही क्रिसमस के मौके पर फूलों का भी खास महत्व है. राजधानी रांची के बाजार में इन चीजों की बिक्री काफी हो रही है.
ईसाई समुदाय के धर्म गुरु कहते हैं कि प्राचीन काल से ही क्रिसमस के मौके पर फूलों का विशेष महत्व रहा है. लोग प्रभु यीशु मसीह के जन्म से पहले अपने घरों को फूलों से सजाकर ईसा मसीह का स्वागत करते हैं. धर्म गुरु बताते हैं कि फूल से हवाओं को सुगंधित कर यीशु मसीह का स्वागत किया जाता है. अड़हुल का फूल और गुलाब के अलावा कई फूलों से ईसाई समुदाय के लोग चर्चों में जाकर प्रार्थना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि फूलों को हाथ में रखकर प्रार्थना करने से यीशु मसीह मनोकामना को पूर्ण करते हैं.
क्रिसमस के मौके पर पॉइन्सेटिया नाम के फ्लावर का खास महत्व है. फूल दुकानदार बताते हैं कि क्रिसमस के दौरान फूलों की खूब बिक्री होती है. पॉइन्सेटिया फूलों की क्रिसमस के दौरान खूब मांग होती है. ईसाई समुदाय के लोग बताते हैं कि इस फूल के बारे में कहा जाता है कि अमेरिका में इस फूल का उपयोग सबसे पहले क्रिसमस की पूर्व संध्या में किया गया था. इस फूल का नाम मेक्सिको के मूल निवासी जोएल रॉबर्ट्स पॉइन्सेट के नाम पर रखा गया है.
रांची के महा गिरजाघर की सिस्टर कपिला लकड़ा बताती हैं कि क्रिसमस के दौरान क्रिसमस फूल के रूप में कई फूलों का उपयोग किया जाता है. लेकिन पॉइन्सेटिया नाम के फ्लावर का विशेष महत्व है. उन्होंने बताया कि इस फूल के बारे में माना जाता है कि 19वीं शताब्दी में एक मेक्सिकन लड़की भगवान यीशु को कुछ उपहार देना चाहती थी लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे. जैसे ही वह चर्च पहुंची कि चर्च के आसपास जंगल और घास फूस पॉइन्सेटिया फ्लावर में बदल गया और तब से इस फ्लावर का और भी महत्व क्रिसमस के मौके पर बढ़ गया.