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झारखंड में गंभीर कोरोना मरीजों की होगी प्लाज्मा थैरेपी, रिम्स में प्लाज्मा दान केंद्र का CM ने किया शुभारंभ - कोरोना संक्रमितों के लिए प्लाज्मा थेरेपी

Plasma therapy started in jharkhand
झारखंड में हुई प्लाज्मा थैरेपी व्यवस्था की शुरुआत

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Published : Jul 28, 2020, 12:05 PM IST

Updated : Jul 28, 2020, 4:56 PM IST

11:59 July 28

RIMS में सीएम हेमंत सोरेन ने की थैरेपी की शुरुआत

झारखंड में हुई प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत

रांची:कोरोना मरीजों के बेहतर इलाज के लिए मंगलवार से राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में प्लाज्मा थैरेपी के लिए प्लाज्मा दान केंद्र की शुरुआत की गई, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने किया. कई राज्यों के बाद अब झारखंड में भी प्लाज्मा थैरेपी की शुरुआत हो चुकी है. रिम्स के ब्लड बैंक में ही प्लाज्मा बैंक की व्यवस्था की गई है, जहां पर चार प्लाज्मा डोनर ने इसकी शुरुआत की है.

प्लाज्मा दान कार्यक्रम का शुभारंभ 
कोरोना की वजह से गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए अच्छी खबर है. दरअसल, अब झारखंड में भी कोरोना से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की प्लाज्मा थैरेपी हो पाएगी. इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रिम्स में प्लाज्मा दान कार्यक्रम का शुभारंभ किया. यहां वैसे मरीज अपना प्लाज्मा डोनेट करेंगे, जो कोरोना को मात दे चुके हैं और उनके प्लाज्मा को गंभीर रूप से कोरोना से संक्रमित पीड़ित के शरीर में चढ़ाया जाएगा. दिल्ली सरकार ने इस पद्धति से इलाज करने की शुरुआत की थी. इसके अच्छे नतीजे आने का भी दावा किया गया था. अब झारखंड में भी कोरोना से गंभीर ग्रसित मरीजों को फायदा मिलेगा. 

संक्रमित को पूरी सुविधा के साथ इलाज मुहैया
मंगलवार से शुरू हुई इस थैरेपी में चार लोग प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचे, जिनमें से सिर्फ एक डोनर का ही प्लाज्मा लिया जा सका. इस मौके पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राजधानी रांची समेत झारखंड के कई जिलों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा है. इसको ध्यान में रखते हुए इलाज के बेहतर तरीके सुनिश्चित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के वक्त राज्य सरकार ने गरीबों तक भोजन पहुंचाने की मुहिम शुरू की थी. अब संक्रमित लोगों के इलाज पर जोर दिया जा रहा है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि झारखंड में हर संक्रमित को पूरी सुविधा के साथ इलाज मुहैया कराया जाएगा.

क्या है प्लाज्मा थैरेपी?
प्लाज्मा थैरेपी में एंडीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है. जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोई हानिकारक वायरस या बैक्टीरिया दाखिल हो जाता है तो उसके खिलाफ हमारे शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी लड़ता है. अगर मौजूद शरीर में मौजूद एंटीबॉडी वायरस से हार जाता है. तो शरीर बीमार हो जाता है. जब मरीज का इलाज किया जाता है तो मरीज के शरीर में इस वायरस को खत्म करने वाला एंटीबॉडी बनता है. जो इन वायरस को हराकर मरीज को स्वस्थ कर देता है. चूंकि कोरोना वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसलिए जो मरीज कोरोना से ठीक हो गए हैं. उनके शरीर में इस वायरस से लड़ने वाला एंटीबॉडी बना होता है. वहीं, एंटीबॉडी स्वस्थ हुए कोरोना मरीजों से निकाल कर कोरोना ग्रस्त मरीजों के शरीर में डाल दिया जाता है. जैसे ही वह एंटीबॉडी कोरोना मरीज के शरीर में जाता है. मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी बनने लगता है और वायरस कमजोर हो जाता है, जिससे नया कोरोना मरीज ठीक हो जाता है.

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प्लाज्मा थैरेपी के बहुत अच्छे रिजल्ट   
ऐसी सुविधाओं का कोई मतलब नहीं है, जब तक लोग खुद प्लाज्मा डोनेशन के लिए सामने न आएं. प्लाज्मा दान करने की प्रक्रिया सिर्फ 40 मिनट में पूरी हो जाती है और इसे दान करने से किसी प्रकार की शारीरिक कमजोरी नहीं होती है. कोई अपना प्लाज्मा देकर कम से कम 2 लोगों की जान बचा सकता हैं. अगर उन्हें लगता है कि उनके शरीर का एंटीबॉडी लेवल कम हो जाएगा, जिससे उनकी इम्युनिटी कम हो जाएगी और फिर उन्हें कोई भी बीमारी पकड़ सकती है तो ऐसा कुछ नहीं होगा. शरीर में लगातार एंटीबॉडी बनती रहती है.

Last Updated : Jul 28, 2020, 4:56 PM IST

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