रांची:2020 से ही मिड डे मील की व्यवस्था घर-घर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. इस साल भी राज्य सरकार ने बच्चों के घरों तक मध्यान भोजन घर-घर पहुंचाने के लिए योजना तैयार की है. अप्रैल महीने से ही इस योजना की शुरुआत करने की बात कही गई थी लेकिन अब तक यह योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं उतारी गई है. जमीनी स्तर पर लाभुक अभी भी इस योजना से वंचित हैं.
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साल 2020 के मार्च महीने से तमाम स्कूल कॉलेज और शिक्षण संस्थान बंद हैं. पठन-पाठन पूरी तरह बाधित है. ऑनलाइन पठन-पाठन के भरोसे स्कूल संचालित हो रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों में यह व्यवस्था पूरी तरह फेल साबित हुई है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कहर ने शिक्षण व्यवस्था को और ज्यादा प्रभावित कर दिया है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील पर आश्रित है. पिछले साल योजना पूरी तरह सफल नहीं हो पाई थी. 55 फीसदी विद्यार्थियों तक मिड डे मील में दी जाने वाली खाद्यान्न और कुकिंग कॉस्ट की राशी उनके अकाउंट में भेजी गई थी. बाकी विद्यार्थियों तक अनाज पहुंचा कि नहीं यह अभी भी सवाल बना हुआ है.
पिछले साल की रिपोर्ट नहीं हुई तैयार
मामले को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से उच्च स्तरीय निगरानी कमेटी बनाई गई थी लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट और पिछले साल का ऑडिट एमडीएम सरकार को नहीं मिला है. इस वर्ष भी राज्य सरकार के शिक्षा परियोजना परिषद और मध्यान भोजन प्राधिकरण ने यह निर्णय लिया है कि स्कूल बाधित होने की वजह से विद्यार्थियों के घर-घर तक मध्यान भोजन पहुंचाए जाएंगे. कुकिंग कॉस्ट की राशि उनके अकाउंट में भेजे जाएंगे. अप्रैल 2021 से इस योजना को शुरुआत करने की बात कही गई है लेकिन इस योजना के तहत लाभुकों को लाभ नहीं मिल रहा है. शत प्रतिशत बच्चों तक मिड डे मील का भोजन मुहैया नहीं हो रहा है. कारण बताया जा रहा है कि जिन शिक्षकों और प्रखंड पदाधिकारियों के भरोसे घर घर तक अनाज पहुंचाए जाने हैं, उन्हें भी कोविड ड्यूटी में लगाया गया था. हालांकि ऐसे शिक्षकों को ड्यूटी से अब हटा लिया गया है लेकिन इस योजना की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. खानापूर्ति के नाम पर कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में यह योजना संचालित की जा रही है. जहां लोग जागरुक हैं, वह इस योजना का लाभ ले रहे हैं. लेकिन शहर के स्लम क्षेत्रों में रहने वाले सरकारी स्कूल के बच्चों को भी इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है.