रांचीः पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कि मुश्किलें अब और बढ़ने जा रही हैं. एक तरफ जहां मौजूदा सरकार ने पिछले सरकार में हुए कथित घोटालों और घपलों की फाइल खोलना शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ तत्कालीन सरकार के 5 कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में बकायदा जनहित याचिका दायर की गई है. इतना ही नहीं पिछली सरकार में मंत्री रहे और मौजूदा निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सड़क निर्माण विभाग और ऊर्जा विभाग में कथित गड़बड़ियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के ऊपर उंगलियां उठाई हैं.
और पढ़ें- झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों का दावा, कहा- कार्यकर्ताओं का रखेंगे पूरा ख्याल
आरसीडी में निकल फर्जी टेंडर का मामला
दरअसल राज्य सरकार के सड़क निर्माण विभाग में शेडयूल ऑफ रेट की गड़बड़ियों और फर्जी टेंडर को लेकर जैसे ही मामला सामने आया मौजूदा सरकार ने अप्रैल 2016 से इस तरह के सभी फाइलों की जांच के आदेश दे दिए हैं. वहीं दूसरी तरफ तत्कालीन सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने ऊर्जा विभाग की गड़बड़ियों को लेकर भी निष्पक्ष जांच की मांग की है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि टाटा पावर लिमिटेड के एक अधिकारी ने झारखंड के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से कथित तौर पर घूस मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी. उस समय मौजूदा मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष थे और उन्होंने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. ऐसे में अब उनका नैतिक दायित्व बनता है कि इस मामले पर त्वरित कार्यवाही करें तत्कालीन सरकार में ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास था.
सभी कार्य विभागों की होगी जांच
राज्य सरकार ने पथ निर्माण भवन, निर्माण ग्रामीण विकास और जल संसाधन विभाग के पिछले 3 साल के कार्यों की जांच कराने का निर्णय लिया है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो 6000 से अधिक ऐसी योजनाएं हैं जो जांच के दायरे में आएंगी. जांच के दायरे में पथ निर्माण विभाग के 12000 करोड़ों रुपए की 450 से अधिक पुल और सड़क योजनाएं शामिल हैं. जबकि जल संसाधन विभाग में 2000 करोड़ की 50 से अधिक डैम, बराज और कैनाल की योजनाएं हैं. वहीं ग्रामीण विकास विभाग में जांच में 10 हजार करोड़ से अधिक की योजना जांच के घेरे में आएंगी. भवन निर्माण विभाग में करीब 2000 करोड़ की लगभग 18 से अधिक ऐसी योजनाएं हैं जिनकी जांच होगी.