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मुश्किल में पड़ सकते हैं रघुवर, PIL और सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामले बन सकते हैं परेशानी का सबब

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. मौजूदा सरकार ने पिछले सरकार में हुए कथित घोटालों और घपलों की फाइल खोलना शुरू कर दिया है. दूसरी तरफ तत्कालीन सरकार के 5 कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में बकायदा जनहित याचिका दायर की गई है.

मुश्किल में पड़ सकते हैं रघुवर, PIL और सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामले बन सकते हैं परेशानी का सबब
रघुवर दास

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Published : Feb 1, 2020, 7:28 PM IST

रांचीः पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कि मुश्किलें अब और बढ़ने जा रही हैं. एक तरफ जहां मौजूदा सरकार ने पिछले सरकार में हुए कथित घोटालों और घपलों की फाइल खोलना शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ तत्कालीन सरकार के 5 कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में बकायदा जनहित याचिका दायर की गई है. इतना ही नहीं पिछली सरकार में मंत्री रहे और मौजूदा निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सड़क निर्माण विभाग और ऊर्जा विभाग में कथित गड़बड़ियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के ऊपर उंगलियां उठाई हैं.

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आरसीडी में निकल फर्जी टेंडर का मामला

दरअसल राज्य सरकार के सड़क निर्माण विभाग में शेडयूल ऑफ रेट की गड़बड़ियों और फर्जी टेंडर को लेकर जैसे ही मामला सामने आया मौजूदा सरकार ने अप्रैल 2016 से इस तरह के सभी फाइलों की जांच के आदेश दे दिए हैं. वहीं दूसरी तरफ तत्कालीन सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने ऊर्जा विभाग की गड़बड़ियों को लेकर भी निष्पक्ष जांच की मांग की है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि टाटा पावर लिमिटेड के एक अधिकारी ने झारखंड के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से कथित तौर पर घूस मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी. उस समय मौजूदा मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष थे और उन्होंने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. ऐसे में अब उनका नैतिक दायित्व बनता है कि इस मामले पर त्वरित कार्यवाही करें तत्कालीन सरकार में ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास था.

सभी कार्य विभागों की होगी जांच

राज्य सरकार ने पथ निर्माण भवन, निर्माण ग्रामीण विकास और जल संसाधन विभाग के पिछले 3 साल के कार्यों की जांच कराने का निर्णय लिया है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो 6000 से अधिक ऐसी योजनाएं हैं जो जांच के दायरे में आएंगी. जांच के दायरे में पथ निर्माण विभाग के 12000 करोड़ों रुपए की 450 से अधिक पुल और सड़क योजनाएं शामिल हैं. जबकि जल संसाधन विभाग में 2000 करोड़ की 50 से अधिक डैम, बराज और कैनाल की योजनाएं हैं. वहीं ग्रामीण विकास विभाग में जांच में 10 हजार करोड़ से अधिक की योजना जांच के घेरे में आएंगी. भवन निर्माण विभाग में करीब 2000 करोड़ की लगभग 18 से अधिक ऐसी योजनाएं हैं जिनकी जांच होगी.

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कैसे खुली घोटाले की कलई

मामला तब सामने आया जब गोड्डा जिले में सूरत की एक कंपनी को ठेका देने के बात सामने आई. यहां तक कि कांट्रेक्टर को 2019 के सितंबर महीने तक 7 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया गया, जिसमें चार करोड़ मोबिलाइजेशन एडवांस के रूप में दिया गया. हैरत की बात यह हुई कि कम्पनी ने सरकार की नोटिस का जवाब में बताया कि वह झारखंड में काम नहीं कर रही है. साथ ही मामले की जांच का भी अनुरोध किया. जांच के दौरान यह बात सामने आई कि कंपनी के नाम से फर्जी कागज के आधार पर किसी ने टेंडर डाला और वर्क आर्डर भी उठा लिया. इतना ही नहीं मोबिलाइजेशन एडवांस भी उस कंपनी ने कथित तौर पर उठा लिया.

जनसंवाद, माइंस और पावर डिपार्टमेंट पर नही है नजर

सरकारी सूत्रों का यकीन करें तो मौजूदा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के जनसंवाद केंद्र पर भी नजर बनाए रखे हुए हैं. दरअसल जनसंवाद केंद्र को लेकर बड़े पैमाने पर शिकायतें आ रही थी. सरकार गठन से लेकर अभी तक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनसंवाद के बैनर तले एक भी बैठक नहीं की है. इसके अलावा माइंस डिपार्टमेंट, ऊर्जा विभाग जैसे डिपार्टमेंट पर भी नजर रखी जा रही है.

कथित रसूखदार अधिकारी हैं वेटिंग फॉर पोस्टिंग

मौजूदा सरकार में तत्कालीन रघुवर दास सरकार में कथित तपुर पर रसूख वाले अधिकारियों का ट्रांसफर भी होना शुरू हो गया है. सबसे पहले राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रधान सचिव रहे सुनील वर्णवाल कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग भेजे गए. उसके बाद झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष राहुल पुरवार और सूचना औक जनसंपर्क विभाग के निदेशक राम लखन गुप्ता को कार्मिक विभाग में योगदान करने को कहा गया है.

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